समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन पर देश भर में चल रही बहस के बीच, शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने शनिवार को कहा कि मसौदा जमा होने के बाद ही वे इस मामले पर टिप्पणी करेंगे. उन्होंने एएनआई को बताया, "प्रस्तावित यूसीसी का मसौदा अभी तक सार्वजनिक डोमेन में नहीं डाला गया है, यह न तो आपके (मीडिया) और न ही हमारे पास है. मसौदा पूरा होने दें, और फिर हम टिप्पणी करेंगे."
विधि आयोग ने 14 जून को उस प्रस्ताव के बारे में 30 दिनों के भीतर जनता और "मान्यता प्राप्त" धार्मिक संगठनों से "विचार और सुझाव" मांगकर यूसीसी को लागू करने को लेकर अपनी कवायद फिर से शुरू कर दी है, दरअसल यूसीसी लंबे समय से सत्तारूढ़ भाजपा के एजेंडे में शामिल है. विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) की सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने एक दिन पहले ही समान नागरिक संहिता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी को लेकर उन पर कटाक्ष किया.
शरद पवार ने यूसीसी पर पीएम मोदी के हालिया बयान का जिक्र करते हुए कहा, "भाजपा राज्यों पर पकड़ बनाने में विफल रही है. कई राज्य उनके साथ नहीं हैं, अगले चुनाव में क्या होने वाला है जबकि पीएम ऐसे बयान दे रहे हैं." मंगलवार को, पीएम मोदी ने भोपाल में यूसीसी की वकालत करते हुए कहा कि देश दो कानूनों पर नहीं चल सकता है और समान नागरिक संहिता संविधान का हिस्सा है. भाजपा के 2019 के लोकसभा चुनाव घोषणापत्र में, पार्टी ने सत्ता में आने पर यूसीसी को लागू करने का वादा किया था.
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