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This Article is From Oct 16, 2018

देश में बेरोजगारी दर 20 वर्षों में सबसे ज्यादा, उत्तर प्रदेश-बिहार जैसे राज्यों पर सर्वाधिक मार

केंद्र सरकार तमाम सेक्टरों में रोजगार सृजन के दावे कर रही है, लेकिन इन दावों पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में बेरोजदारी दर 20 वर्षों में सबसे अधिक हो गई है.

देश में बेरोजगारी दर 20 वर्षों में सबसे ज्यादा, उत्तर प्रदेश-बिहार जैसे राज्यों पर सर्वाधिक मार
रिपोर्ट के मुताबिक भारत के उत्तरी राज्यों में बेरोजगारी (Unemployment) सबसे ज्यादा है.
नई दिल्ली:

केंद्र सरकार तमाम सेक्टरों में रोजगार सृजन के दावे कर रही है, लेकिन इन दावों पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में बेरोजगारी दर (Unemployment Rate in India) 20 वर्षों में सबसे अधिक हो गई है. चौंकाने वाली बात यह है कि युवाओं में बेरोजगारी की दर 16 फीसद तक पहुंच गई है. बेरोजगारी दर बढ़ने के पीछे दो वजहें सामने आई हैं. पहली, नौकरियों (Jobs) के सृजन की रफ्तार धीमी है और दूसरी, इंडस्ट्री में कार्यबल (मैन पावर) में कटौती. अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के सतत रोजगार केंद्र ने नौकरियों को लेकर एक अध्ययन किया. इसमें चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं.

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अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ लिबरल स्टडीज ने देश में बढ़ती बेरोजगारी से पर्दा उठाने वाली ''स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया- 2018'' रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट के आंकड़े श्रम ब्यूरो के पांचवीं वार्षिक रोजगार-बेरोजगारी सर्वेक्षण (2015-2016) पर आधारित हैं. श्रम मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, कई सालों तक बेरोजगारी दर दो से तीन प्रतिशत के आसपास रहने के बाद साल 2015 में पांच प्रतिशत पर पहुंच गई, इसके साथ ही युवाओं में बेरोजगारी की दर 16 प्रतिशत तक पहुंच गई है. स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया- 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक 2015 में बेरोजगारी दर पांच प्रतिशत थी, जो पिछले 20 वर्षो में सबसे ज्यादा देखी गई है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि के परिणामस्वरूप रोजगार में वृद्धि नहीं हुई है. अध्ययन के मुताबिक जीडीपी में 10 फीसदी की वृद्धि के परिणामस्वरूप रोजगार में एक प्रतिशत से भी कम की वृद्धि हुई है.

नौटबंदी से नौकरियों में कटौती :
स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया- 2018 की रिपोर्ट में बढ़ती बेरोजगारी को भारत के लिए नई समस्या बताया गया है. दूसरी तरफ, सरकार की तरफ से 2015 के बाद से समग्र रोजगार की स्थिति पर कोई डेटा भी जारी नहीं किया गया है. सेंटर फॉर मॉनीटरिंग द इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) जैसे निजी स्रोतों के उपलब्ध डेटा से पता चलता है कि नौकरियों का सृजन कमजोर ही बना रहेगा. सीएमआईई डेटा यह भी इंगित करता है कि नोटबंदी के परिणामस्वरूप नौकरियों में कमी आई है, सरकार ने इस पर भी कोई डेटा जारी नहीं किया है. 

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देश के उत्तरी राज्य सबसे ज्यादा प्रभावित : 
स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया- 2018 रिपोर्ट में एक और चौंकाने वाली बात सामने आई है. रिपोर्ट के मुताबिक भारत में अंडर एंप्लॉयमेंट और कम मजदूरी भी समस्या है. तो दूसरी तरफ, उच्च शिक्षा प्राप्त और युवाओं में बेरोजगारी की दर 16 प्रतिशत तक पहुंच गई है. वैसे तो बेरोजगारी की चपेट में पूरा देश है, लेकिन देश के उत्तरी राज्य जैसे- उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश आदि इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. (इनपुट- IANS से भी)

देश में रोज़गार के दावों पर गंभीर सवाल  

VIDEO: प्राइम टाइम: देश के बेरोजगारों की सुध कौन लेगा?

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