विज्ञापन
This Article is From Dec 29, 2022

मध्य प्रदेश में अब तक दस्तावेजों की देखरेख के लिए नहीं है कोई एक्ट, राज्य सूचना आयुक्त ने मांगी रिपोर्ट 

मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने अब सामान्य प्रशासन विभाग को मध्य प्रदेश का पब्लिक रिकॉर्ड एक्ट बनवाने के लिए निर्देशित दिया है.

मध्य प्रदेश में अब तक दस्तावेजों की देखरेख के लिए नहीं है कोई एक्ट, राज्य सूचना आयुक्त ने मांगी रिपोर्ट 
मध्य प्रदेश में अब तक दस्तावेजों की देखरेख के लिए कोई एक्ट नहीं है.

मध्य प्रदेश 66 साल का हो गया, लेकिन राज्य में अब तक दस्तावेजों के रखरखाव, प्रबंधन के लिए पब्लिक रिकॉर्ड एक्ट ही नहीं है. सरकारी दफ्तरों से लगातार कागज और फाइलें गायब होने की शिकायत मिलती हैं, लेकिन एक्ट नहीं होने से जवाबदेही तय नहीं हो पाती. अधिकारी भी इसे गंभीरता से नहीं लेते, जबकि केंद्र और दूसरे राज्यों का अपना पब्लिक रिकॉर्ड एक्ट है, जिसके तहत दफ्तर में फाइलों का प्रबंधन सुनिश्चित किया जाता है.

सतना में एक शख्स ने जाति प्रमाण पत्र की जानकारी मांगी थी. उसकी अपील पर सुनवाई के दौरान पता लगा कि न केवल जाति प्रमाण पत्र, बल्कि जानकारी मांगने के लिए जो आरटीआई आवेदन दायर हुआ था, वह भी गायब हो चुका है. वहीं पिछले तीन साल से इस प्रकरण में गुम हुए कागज के लिए किसी की जवाबदेही भी तय नहीं की गई है. इस प्रकरण में सूचना आयोग ने तीन दोषी SDM के विरुद्ध ₹ 58000 का जुर्माना लगाया है.

मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने अब सामान्य प्रशासन विभाग को मध्य प्रदेश का पब्लिक रिकॉर्ड एक्ट बनवाने के लिए निर्देशित दिया है. साथ में जब तक मध्य प्रदेश का पब्लिक रिकॉर्ड एक्ट बन कर लागू नहीं होता है, तब तक सिंह ने विभाग को केंद्र के पब्लिक रिकॉर्ड एक्ट के अनुरुप गाइडलाइंस तैयार कर फाइलों का प्रबंधन और उसके गायब होने पर दोषी कर्मचारियों या अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने को भी कहा है. इसमें 5 साल तक की सज़ा और ₹ 10000 तक का जुर्माना शामिल है.

सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने अपने आदेश में कहा कि आयोग के लिए चिंता का विषय है कि मध्य प्रदेश में शासकीय कार्यालयों में रिकॉर्ड की देखरेख प्रबंध पद्धति में सुधार लाने सुरक्षा प्रबंधन एवं रिकॉर्ड गुम या चोरी होने, गलत तरीके से नष्ट करने पर दोषी अधिकारी या कर्मचारी की जवाबदेही तय करने के लिए राज्य का अपना पब्लिक रिकॉर्ड एक्ट ही नहीं है. सिंह ने अपने आदेश में कहा कि कागजों के गायब होने पर अधिकारियों  के उदासीन रवैए के पीछे एक बड़ी वजह यह भी है कि इस तरह के मामलों में कार्रवाई करने के लिए एक मुकम्मल विधिक व्यवस्था पब्लिक रिकॉर्ड एक्ट जो केंद्र एवं अन्य राज्यों में उपलब्ध है, मध्य प्रदेश में उपलब्ध नहीं है.

सिंह ने यह स्पष्ट करते हुए बताया कि केंद्र के पब्लिक रिकॉर्ड एक्ट रिकॉर्ड गायब होने होने पर दोषी अधिकारी कर्मचारी के विरुद्ध 5 साल तक के कारावास एवं ₹10000 जुर्माने का प्रावधान है या दोनों से दंडनीय करने का भी प्रावधान है. फिलहाल मध्य प्रदेश में पब्लिक रिकॉर्ड एक्ट के न होने से गायब या गुम हो गई फाइलों के संबंध में दोषी अधिकारी या कर्मचारियों के विरुद्ध मध्य प्रदेश सेवा शर्त नियम के अधीन कार्रवाई की जाती है, लेकिन निश्चित नियम-प्रक्रिया के अभाव में कोई पुख्ता कार्रवाई नहीं हो पाती है. सिंह ने कहा कि गायब या गुम कागजों को लेकर संबंधित दोषी अधिकारी कर्मचारी की जवाबदेही और उनके विरुद्ध कार्रवाई विभागीय स्तर पर समयबद्ध तरीके से सुनिश्चित होनी चाहिए. अगर जानबूझकर किसी के द्वारा कागज गायब करवाया गया है तो आईपीसी की सुसंगत धाराओं के तहत पुलिस में उक्त अधिकारी कर्मचारी के विरुद्ध FIR दर्ज कर कार्रवाई होनी चाहिए. सूचना आयुक्त ने 23 जनवरी 2023 तक सामान्य प्रशासन विभाग से इस मामले में रिपोर्ट तलब की है.

यह भी पढ़ें-

"राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहते व्यापार बढ़ने की हुई शुरुआत ": गौतम अडानी
अहमदाबाद के अस्‍पताल में भर्ती मां का हालचाल जानने पहुंचे PM मोदी, डॉक्‍टरों ने कहा-हालत स्थिर
"शादी के लिए ऐसी लड़की चाहूंगा जिसमें..." : जीवनसाथी को लेकर सवाल पर बोले राहुल गांधी

 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com