पुंछ हमला : शहीद कुलवंत के पिता ने भी दिया था सर्वोच्च बलिदान, गर्भवती पत्नी को छोड़ गए जवान हरकिशन

जम्मू- कश्मीर (Jammu and Kashmir) के पुंछ में आतंकियों ने सेना (Army) के जवानों पर जिस तरह से घात लगाकर हमला किया उससे पूरे देश में आंतकियों के खिलाफ आक्रोश है. वहीं शहीदों के परिवारों में मातम का माहौल.

नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के पुंछ में शहीद हुए पांचों जवानों का आज उनके पैतृक गांवों में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार होगा. पंजाब (Punjab) के चार जवान और ओडीशा (Odisha) का एक जवान जो शहीद हुए हैं  उनके घर-परिवार की कहानी रुला देने वाली हैं. सेना के पांच जवानों की शहादत (Martyrdom) भले ही हमें और आपको पांच जवानों की सहादत लगे, लेकिन इस शहादत से किसी के घर का चिराग उजाड़ गया, तो कई बच्चों के सिर से बाप साया उठ गया है. शहीदों की पत्नियों के सपने उजड़ गए तो किसी भाई से भाई जुदा हो गया है. किसी मां की कोख सूनी हो गई है तो किसी बाप के बुढ़ापे का सहारा छिन गया है.   

आतंकियों ने देश के वीर जवानों पर जिस तरह से घात लगाकर हमला किया उससे पूरे देश में आंतकियों के खिलाफ आक्रोश है. वहीं शहीदों के परिवारों में मातम का माहौल. पुछ के पांचों शहीदों की कहानी अपने आप में बड़ी करुणा से भरी है. कोई शहीद अपने घर का इकलौता चिराग था, तो किसी शहीद की सात महीने की बेटी जिसकी आंखों में शायद पिता की तस्वीर भी ठीक से नहीं उभरी होगी और उसके पिता देश के लिए कुर्बान हो गए. 

ओडिशा के जवान देवाशीष बिस्वाल की 7 महीने की बेटी है. 2021 में देवाशीष की शादी हुई थी. वहीं पंजाब के मोंगा के शहीद कुलवंत सिंह का 4 महीने का बेटा है और डेढ़ साल की बेटी भी है.

कुलवंत के पिता बलदेव सिंह भी करगिल जंग में शहीद हुए थे. भटिंडा के सेवक सिंह की दो साल की बेटी है. सेवक सिंह अपनी माता पिता की इकलौते बेटे थे.

बटाला के शहीद हरकिशन सिंह अपने दो साल की बेटी को पीछे छोड़ कर चले गए हैं और उनकी पत्नी अभी गर्भवती हैं. शहीदों के परिवारों में गम का माहौल है. वहीं शहीदों के गांव में देश के दुश्मनों के खिलाफ काफी गुस्सा है. लोग शहादत का बदला लेने के लिए सरकार से मांग कर रहे हैं  

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