उच्चतम न्यायालय को आज पांच नए न्यायाधीश मिले हैं, जिससे शीर्ष अदालत में कुल न्यायाधीशों की संख्या 32 हो गई है. उच्चतम न्यायालय के लिए स्वीकृत न्यायाधीशों की संख्या 34 है. सोमवार को क्रमश: राजस्थान, पटना और मणिपुर के उच्च न्यायालयों के तीन मुख्य न्यायाधीशों - न्यायमूर्ति पंकज मित्तल, न्यायमूर्ति संजय करोल और पीवी संजय कुमार के साथ पटना उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा ने शपथ ली. भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) द्वारा इन्हें शपथ दिलाई गई. यह समारोह अदालत के नए भवन में सभागार में आयोजित हुआ.
1. जस्टिस पंकज मित्तल
पांच न्यायाधीशों में सबसे वरिष्ठ न्यायमूर्ति मित्तल हैं, जिनका मूल कैडर इलाहाबाद उच्च न्यायालय है. वह पिछले साल 14 अक्टूबर से राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यरत थे. न्यायमूर्ति मित्तल का जन्म 17 जून, 1961 को हुआ. वह 1982 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से वाणिज्य स्नातक हैं. उन्होंने 1985 में मेरठ कॉलेज से एलएलबी पूरी की और उसी वर्ष उत्तर प्रदेश की बार काउंसिल में एक वकील के रूप में पंजीकरण कराया. उन्होंने 1985 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वकालत शुरू की और उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद के स्थायी वकील के रूप में कार्य किया. वह 1990 और फरवरी 2006 के बीच डॉ बी आर आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा के स्थायी वकील भी थे.
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न्यायमूर्ति मित्तल को 7 जुलाई, 2006 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था और 2 जुलाई, 2008 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली. उन्होंने 4 जनवरी, 2021 को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लिए साझा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली.
2. जस्टिस संजय करोल
आज शपथ लेने वाले दूसरे वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति करोल हैं, जिनका मूल उच्च न्यायालय कैडर हिमाचल प्रदेश है. पदोन्नति के समय वे पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे. न्यायमूर्ति करोल का जन्म 23 अगस्त, 1961 को हुआ. शिमला के प्रतिष्ठित सेंट एडवर्ड स्कूल से पढ़ाई के बाद उन्होंने गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज, शिमला से इतिहास में ऑनर्स के साथ स्नातक किया.
न्यायमूर्ति करोल कांगड़ा जिले के निवासी हैं. उन्होंने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से कानून में डिग्री प्राप्त की और 1986 में एक वकील के रूप में पंजीकरण कराया. न्यायमूर्ति करोल ने उच्चतम न्यायालय सहित विभिन्न अदालतों में वकालत की. उन्हें संविधान, कराधान, कॉरपोरेट, आपराधिक और दीवानी से संबंधित मामलों में विशेषज्ञता हासिल है. उन्हें 1999 में एक वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया था.
न्यायमूर्ति करोल 1998 से 2003 तक हिमाचल प्रदेश के महाधिवक्ता भी रहे और 8 मार्च, 2007 को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए थे. उन्हें 25 अप्रैल, 2017 से अदालत के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था. उन्हें 9 नवंबर, 2018 को त्रिपुरा उच्च न्यायालय और 11 नवंबर, 2019 को पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था.
3. जस्टिस पीवी संजय कुमार
न्यायमूर्ति पीवी संजय कुमार मूल रूप से तेलंगाना उच्च न्यायालय से जुड़े हैं. वह पांच न्यायाधीशों की सूची में तीसरे स्थान पर हैं. पिछले साल 13 दिसंबर को कॉलेजियम द्वारा सिफारिश के समय और बाद में केंद्र द्वारा मंजूरी के समय मणिपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे. उनका जन्म 14 अगस्त, 1963 को हुआ. उन्होंने निजाम कॉलेज, हैदराबाद से वाणिज्य में स्नातक किया और 1988 में दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री हासिल की. न्यायमूर्ति कुमार ने अगस्त 1988 में आंध्र प्रदेश की बार काउंसिल के सदस्य के रूप में पंजीकरण कराया और 2000 से 2003 तक आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में एक सरकारी वकील के रूप में कार्य किया.
उन्हें 8 अगस्त, 2008 को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के एक अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पीठ में पदोन्नत किया गया और 20 जनवरी, 2010 को अदालत के स्थायी न्यायाधीश के रूप में पदभार ग्रहण किया. न्यायमूर्ति कुमार ने 14 अक्टूबर, 2019 को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदभार ग्रहण किया. उन्होंने 14 फरवरी, 2021 को मणिपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली.
4. जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह
पटना उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह चौथे न्यायाधीश हैं जिन्हें शीर्ष अदालत में नियुक्त किया गया है. उनका जन्म 11 मई, 1963 को हुआ. उन्होंने 27 सितंबर, 1991 को बिहार स्टेट बार काउंसिल में पंजीकरण कराया और मार्च 2006 से अगस्त 2010 तक राज्य सरकार के स्थायी वकील रहे. वह पटना उच्च न्यायालय में एक सरकारी वकील थे. उसी अदालत में 20 जून, 2011 को न्यायाधीश के रूप में उनकी पदोन्नति हुई. उन्हें 10 अक्टूबर, 2021 को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में और 20 जून 2022 को पटना उच्च न्यायालय में वापस स्थानांतरित कर दिया गया था.
5.जस्टिस मनोज मिश्रा
सूची में पांचवें स्थान पर न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा हैं जिनका जन्म 2 जून, 1965 को हुआ. उन्होंने 12 दिसंबर, 1988 को एक वकील के रूप में पंजीकरण कराया और 21 नवंबर, 2011 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए. उन्होंने 6 अगस्त, 2013 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में पद की शपथ ली.
उच्चतम न्यायालय के छह सदस्यीय कॉलेजियम ने पिछले साल 13 दिसंबर को शीर्ष अदालत में न्यायाधीश पद के लिए सभी पांच नामों की सिफारिश की थी. उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने 31 जनवरी को शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों के रूप में पदोन्नति के लिए दो और नामों की सिफारिश की. इनमें इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार शामिल हैं. वर्तमान में शीर्ष अदालत के 27 न्यायाधीशों में से आठ का कार्यकाल 2023 में खत्म हो जाएगा.
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