उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) भारतीय आपराधिक कानूनों (Indian criminal laws) में व्यापक संशोधन वाले तीन नये कानूनों के अधिनियमन को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सोमवार को सुनवाई करेगा. पुराने कानूनों में विभिन्न प्रकार के ‘‘दोषों और विसंगतियों'' के मद्देनजर आपराधिक कानूनों में बदलाव की मांग की जाती रही है. न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की अवकाशकालीन पीठ इस मामले की सुनवाई कर सकती है.
लोकसभा ने पिछले साल 21 दिसंबर को तीन प्रमुख कानूनों - भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक को पारित किया था. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 25 दिसंबर को इन विधेयकों पर अपनी मुहर लगा दी थी.
ये नये कानून क्रमश: भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे.
कानूनों के क्रियान्वयन पर रोक लगाने का अनुरोध
तीन नये कानूनों के क्रियान्वयन पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए वकील विशाल तिवारी की जनहित याचिका में कहा गया है कि इन विधेयकों को संसद में बिना किसी चर्चा के पारित किया गया था क्योंकि अधिकांश विपक्षी सदस्य निलंबित थे.
विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्देश देने की मांग
याचिका में अदालत से एक विशेषज्ञ समिति तुरंत गठित करने के निर्देश देने का अनुरोध किया गया है, जो तीन नए आपराधिक कानूनों की व्यवहार्यता का आकलन करेगी.
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