वकील प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) के दो ट्वीट के आधार पर अदालत की अवमानना के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने फैसला सुरक्षित रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने ये मांग ठुकरा दी कि इस मामले में याचिका सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि इसमें खामी है. सुप्रीम कोर्ट ने ये मांग भी नहीं मानी कि मामले को किसी अन्य बेंच को भेजा जाए. वहीं मामले का सामना कर रहे वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब में कहा है कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की स्वस्थ आलोचना होने से सुप्रीम कोर्ट की प्रतिष्ठा पर आंच नहीं आती है.
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में प्रशांत भूषण के दो ट्वीट के मामले में कंटेप्ट (अवमानना) नोटिस जारी किया था और जवाब दाखिल करने को कहा था. सुप्रीम कोर्ट में प्रशांत भूषण ने हलफनामा दायर कर कहा है कि चीफ जस्टिस को लेकर किया गया ट्वीट और पूर्व चीफ जस्टिस को लेकर किया गया ट्वीट स्वस्थ आलोचना के दायरे में आता है. चीफ जस्टिस की स्वस्थ आलोचना सुप्रीम कोर्ट का अपमान नहीं है और न ही उसके गरिमा को कम करता है. भूषण ने कहा कि मोटरसाइकिल पर सवार चीफ जस्टिस के बारे में उनका ट्वीट सुनवाई को लेकर उनकी पीड़ा को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि तीन महीने में गरीब नागरिकों के मौलिक अधिकार को लेकर सुनवाई शायद ही हुई.
वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ अदालत की अवमानना मामले की सुनवाई पूरी, सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुरक्षित
140 पेज के हलफनामे में भूषण ने कहा है कि पिछले चार चीफ जस्टिसों के बारे में उनका कॉमेंट कहीं से अवमानना नहीं है. जो भी ट्वीट है उसमें लोकतंत्र को नष्ट करने की अनुमति नहीं दिए जाने की बात है और ये अभिव्यक्ति कंटेप्ट के दायरे में नहीं आती. हालांकि भूषण ने ये भी कहा कि एक चूक ये हुई कि बाइक स्टैंड पर था और ऐसे में हेलमेट पहनने की बात नहीं करनी चाहिए थी, क्योंकि स्टैंड बाइक पर हेलमेट की जरूरत नहीं है.
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