
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने ईवीए मशीनों (EVM machines) की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. साथ ही कोर्ट ने 50 हजार रुपये का जुर्माना (Fine) भी लगाया है.मध्य प्रदेश जन विकास पार्टी को फटकार लगाते हुए जस्टिस संजय किशन कौल की बेंच ने कहा कि जो पार्टी मतदाताओं द्वारा मान्यता प्राप्त करने में विफल रही है वो स्पष्ट रूप से एक याचिका दायर करके मान्यता प्राप्त करने की कोशिश कर रही है. अदालत वो जगह नहीं है, जहां कोई भी चला आए और पब्लिसिटी ले ले. सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें भारत के चुनाव आयोग (ECI) को EVM में खामियों को दूर करने के लिए प्रभावी उपाय करने के निर्देश देने की मांग की गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने और क्या कहा
- चुनाव प्रक्रिया की दशकों से चुनाव आयोग द्वारा निगरानी की जाती है
- समय-समय पर यह मुद्दा उठाया जा रहा है.
- ऐसा प्रतीत होता है कि जिस पार्टी को मतदाताओं से मान्यता नहीं मिली हो, वह ऐसी याचिकाओं के माध्यम से मान्यता प्राप्त करने का प्रयास कर रही है.
याचिकाकर्ताओं के वकील ने क्या तर्क दिये
- केवल कंपनी के इंजीनियरों की ही इस तक पहुंच है.
- यदि EVM के साथ कोई समस्या है, तो यह कंपनी के इंजीनियर हैं जो इससे निपटते हैं, न कि आयोग के इंजीनियर.
- इसे अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि इसमें छेड़छाड़ की संभावना है.
- हमें केवल कुछ चेक और बैलेंस चाहिए.
- हम चुनाव में ईवीएम के इस्तेमाल के खिलाफ नहीं हैं.
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