एसआईआर को लेकर पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में बवाल हो रहा है. इस बीच वोटिंग लिस्ट के स्पेशल समरी रिवीजन (SIR) पर सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने घुसपैठियों या गैर-नागरिकों द्वारा लंबे समय तक रहने के कारण आधार कार्ड बनवाने पर चिंता जताई. मुख्य न्यायाधीश कांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस बात पर ज़ोर दिया कि आधार सामाजिक कल्याण योजनाओं तक पहुंच प्रदान करता है, लेकिन इससे गैर-नागरिकों को स्वतः ही मतदान का अधिकार नहीं मिल जाना चाहिए.
बिहार में हुई एसआईआर प्रक्रिया के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मतदाता को पहचान सत्यापन के लिए आधार समेत 13 में से कोई एक दस्तावेज देना होगा. इनमें से एक भी उपलब्ध होने पर एसआईआर की प्रक्रिया पूरी मानी जाएगी. यूपी प्रशासन ने भी पिछले दिनों लोगों का भम्र दूर करने के लिए आधार को एसआईआर के लिए एक वैध दस्तावेज बताया था. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के आधार को लेकर उठाए जा रहे सवाल, मामले को और जटिल कर सकते हैं.
अब तक ये 13 दस्तावेज देना काफी
- केंद्र/राज्य सरकार या उपक्रम का पहचान पत्र या पेंशन आदेश
- 1 जुलाई 1987 से पूर्व जारी कोई भी सरकारी पहचान पत्र
- जन्म प्रमाणपत्र
- पासपोर्ट
- मान्यता प्राप्त बोर्ड/विश्वविद्यालय का शैक्षिक प्रमाणपत्र
- राज्य सरकार द्वारा जारी स्थायी निवास प्रमाणपत्र
- वन अधिकार प्रमाणपत्र
- ओबीसी/एससी/एसटी प्रमाणपत्र
- राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (जहां लागू)
- राज्य या स्थानीय निकाय का परिवार रजिस्टर
- सरकार द्वारा जारी भूमि/मकान आवंटन पत्र
- आधार कार्ड
- कोई अन्य मान्य सरकारी दस्तावेज
देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में इन दिनों एसआईआर प्रक्रिया चल रही है. इनमें अंडमान और निकोबार, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, लक्षद्वीप, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं.
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