- सुप्रीम कोर्ट में आज दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के मामले पर हुई सुनवाई
- शीर्ष अदालत ने कहा कि उसके पास कोई जादू की छड़ी नहीं है कि तुरंत समस्या का समाधान हो जाए
- कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण मामले की लगातार सुनवाई होने की जरूरत है
दिल्ली-एनसीआर में बढ़ रहे प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर चिंता व्यक्त की है.कोर्ट ने कहा कि हमारे पास कोई जादू की छड़ी नहीं है कि इसे घुमाकर समस्या खत्म कर दें. कोर्ट ने कहा कि हमें पता है कि दिल्ली-एनसीआर के लिए खतरनाक समय है. कोर्ट ने कहा कि इस मामले का तुरंत हल निकालने की कोशिश की जाना चाहिए. इस मामले पर अब 1 दिसंबर को सुनवाई होगी. शीर्ष अदालत ने साफ किया कि कि हवा की गुणवत्ता की समस्या गंभीर है और इसे तुरंत हल करने की दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है.
क्या हमारे पास जादू की छड़ी?
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत ने इस मुद्दे पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, "किसी भी ज्यूडिशियल फोरम के पास कौन सी जादू की छड़ी है, जिसे घुमा कर यह समस्या खत्म हो सके? मुझे पता है कि यह दिल्ली-एनसीआर के लिए खतरनाक समय हैॉ. हमें बताएं कि हम क्या आदेश दे सकते हैं ताकि लोगों को तुरंत साफ हवा मिल सके."
केवल वैज्ञानिकों के लिए न छोड़ें
सीजेआई ने आगे कहा कि प्रदूषण के पीछे कोई एक कारण नहीं है और इसे केवल विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों पर छोड़ देना सही नहीं होगा. उन्होंने कहा कि हमें सभी कारणों की पहचान करनी होगी. हर इलाके के लिए अलग समाधान की जरूरत है. इसके लिए सरकार की बनाई कमेटियों और उनके कामकाज की भी समीक्षा करनी होगी. साथ ही रेगुलर मॉनिटरिंग की प्रक्रिया को मजबूत करना जरूरी है.
एमिकस क्यूरी अपराजिता सिंह ने कोर्ट को बताया कि दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर बहुत गंभीर है और इसे एक स्वास्थ्य आपातकाल (हेल्थ इमरजेंसी) के रूप में देखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि सामान्य नागरिकों की जान और स्वास्थ्य दोनों खतरे में हैं.
प्रदूषण पर हो नियमित सुनवाई- CJI
चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने यह भी कहा कि प्रदूषण के मामले पर नियमित सुनवाई होनी चाहिए. उन्होंने नोट किया कि अक्सर दीपावली के समय प्रदूषण से संबंधित मामलों पर सुनवाई होती है, लेकिन उसके बाद यह मामले की लिस्ट से गायब हो जाता है. ऐसे मामलों में निरंतर निगरानी और नियमित सुनवाई आवश्यक है ताकि ठोस और प्रभावी निर्णय लिए जा सकें.
1 दिसंबर को अगली सुनवाई
अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 1 दिसंबर को अगली सुनवाई की तारीख तय की है और इस दौरान यह देखा जाएगा कि तत्काल और दीर्घकालिक उपाय क्या किए जा सकते हैं. कोर्ट की यह पहल नागरिकों की सेहत और दिल्ली-एनसीआर की हवा की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है. विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में बढ़ता प्रदूषण न सिर्फ श्वसन रोगों को बढ़ाता है, बल्कि बच्चों, बुजुर्गों और अस्वस्थ लोगों के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न करता है.
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