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This Article is From Jan 30, 2022

'न्याय तभी होता दिखाई देगा, जब...': अदालती कार्यवाही को लेकर SC के वरिष्ठ जज ने कही ये बात

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि जब कोई जज किसी मामले की सुनवाई शुरू करता है, तो उसे खुले विवेक से,अपने पूर्वाग्रहों से स्वतंत्र होकर ऐसा करना चाहिए.

'न्याय तभी होता दिखाई देगा, जब...':  अदालती कार्यवाही को लेकर SC के वरिष्ठ जज ने कही ये बात
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज जस्टिस ने अदालती कार्यवाही को आम जनता के लिए खोलने की वकालत की
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने एक बार फिर अदालती कार्यवाही को आम जनता के लिए खोलने की वकालत की है.  उन्होंने कहा कि न्याय तभी होता दिखाई देगा, जब न्यायिक कार्यवाही जनता के देखने के लिए खोली जाएगी. जब तक न्यायिक कार्यवाही जनता के देखने के लिए खुली नहीं है, तब तक जनता के लिए यह संभव नहीं होगा कि वे अदालतों द्वारा किए गए कार्यों की प्रकृति को समझें.  जस्टिस चंद्रचूड़ प्रोफेसर (डॉ.) बलराम के गुप्ता द्वारा लिखित पुस्तक "माई जर्नी विद लॉ एंड जस्टिस" के लिए आयोजित  पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में बोल रहे थे. 

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि किसी जज को न केवल दिए गए फैसलों की संख्या और निपटान दर से बल्कि अदालत कक्ष की दीवारों के भीतर उनके आचरण से भी आंका जाता है. जब कोई जज किसी मामले की सुनवाई शुरू करता है, तो उसे खुले विवेक से,अपने पूर्वाग्रहों से स्वतंत्र होकर ऐसा करना चाहिए. न केवल यह जरूरी है कि न्याय किया जाए, बल्कि यह होते हुए दिखना भी चाहिए. न्याय तभी होता दिखाई देगा, जब न्यायिक कार्यवाही जनता के देखने के लिए खोली जाती है. यह न केवल न्यायिक संस्थान को वैधता प्रदान करता है, बल्कि जवाबदेही के लोकतांत्रिक सिद्धांत को आगे बढ़ाता है. हालांकि,  मामलों के निपटारे की दर और फैसलों के आंकड़े सार्वजनिक डोमेन में आसानी से उपलब्ध हैं. न्यायिक कार्यवाही की पारदर्शिता की कमी के कारण कोर्ट रूम में एक जज का व्यवहार आसानी से पता नहीं चल पाता है.  

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जब तक प्रदर्शन मूल्यांकन का यह महत्वपूर्ण संकेतक सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है, तब तक किसी जज  के प्रदर्शन का मूल्यांकन करना मुश्किल होगा और न्यायिक जवाबदेही के लिए चुनौतियां पैदा करेगा. उन्होंने कहा, "हालांकि कानूनी पत्रकारिता बढ़ रही है और न्यायिक कार्यवाही की रिपोर्टिंग ने गति प्राप्त की है लेकिन इसकी सीमाएं हैं. जब तक न्यायिक कार्यवाही सार्वजनिक दर्शकों के लिए खुली नहीं होती, तब तक जनता के लिए अदालती कार्य की प्रकृति को समझना संभव नहीं होगा. न्यायिक कार्यवाही की स्ट्रीमिंग भी कानून के छात्रों, युवा और बार के बुजुर्गों के लिए शिक्षा का एक तरीका है 

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