Waqf Law Hearing In SC: वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है.
Waqf Law Hearing In Supreme Court: वक्फ कानून में संसद द्वारा किए गए हालिया संशोधनों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता बुधवार को केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए कई बड़ी दलीलें दी. उन्होंने कहा कि ट्रस्ट की जमीन को सरकार सभी नागरिकों के लिए सुनिश्चित करना चाहती है. बुधवार की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने क्या-क्या बड़ी दलीलें दी, जानिए इस रिपोर्ट में.
1. वक्फ इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं
वक्फ कानून पर सुप्रीम सुनवाई में केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, वक्फ इस्लामिक सिद्धांत है इसमें कोई शक नहीं, लेकिन वक्फ इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं. वक्फ एक इस्लामी अवधारणा है... लेकिन यह इस्लाम का एक अनिवार्य हिस्सा नहीं है. दान हर धर्म का हिस्सा है और यह क्रिश्चियन के लिए भी हो सकता है. हिंदुओं में दान की एक प्रणाली है. सिखों में भी यह मौजूद है. इस्लाम में वक्फ कुछ और नहीं बल्कि दान है. वक्फ बोर्ड का काम केवल वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन करना, हिसाब-किताब सही रखना, खातों का ऑडिट रखना आदि है.
2. वक्फ अपने स्वभाव से एक धर्मनिरपेक्ष अवधारणा
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आगे कहा, कई राज्य सरकारों से परामर्श किया गया वक्फ बोर्ड से परामर्श किया गया. जेपीसी ने हर खंड में दर्ज किया है कि वक्फ बोर्ड किस खंड से सहमत है या नहीं है. विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई-कुछ सुझाव स्वीकार किए गए या स्वीकार नहीं किए गए. जब धाराओं में संशोधन के लिए सुझाव दिए गए, तो विधेयक को पेश किया गया और अभूतपूर्व बहुमत से पारित किया गया. मेहता ने कहा कि वक्फ, अपने स्वभाव से ही एक धर्मनिरपेक्ष अवधारणा है.
3. कोई भी अपनी संपत्ति वक्फ कर सकता है... जिक्र 2013 के संशोधन का
तुषार मेहता ने कहा वक्फ कानून 2013 के संशोधन से पहले अधिनियम के सभी संस्करणों में कहा गया था कि केवल मुसलमान ही अपनी संपत्ति वक्फ कर सकते हैं. लेकिन 2013 के आम चुनाव से ठीक पहले एक संशोधन किया गया था, जिसके मुताबिक कोई भी अपनी संपत्ति वक्फ कर सकता है.
4. सरकार संपत्ति की जांच कर सकती है
सॉलिसिटर जनरल ने कहा, "वक्फ का अर्थ है कि उपयोग के अनुसार संपत्ति किसी और की है. आपने निरंतर उपयोग करके अधिकार अर्जित किया है. इसलिए जरूरी है कि निजी/सरकारी संपत्ति का उपयोग लंबे समय तक किया जाए. अगर कोई इमारत है जो सरकारी संपत्ति हो सकती है, तो क्या सरकार यह जांच नहीं कर सकती कि संपत्ति सरकार की है या नहीं? इसका प्रावधान 3(सी) में है. ट्रस्ट की जमीन सरकार सभी नागरिकों के लिए सुनिश्चित करना चाहती है.
5. 1923 से चली आ रही बुराई को खत्म किया
सरकार की तरफ से SG मेहता ने कहा कि हमने 1923 से चली आ रही बुराई को खत्म की. हर हितधारक की बात सुनी गई. मेरा कहना है कि कुछ याचिकाकर्ता पूरे मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करने का दावा नहीं कर सकते. हमें 96 लाख प्रतिनिधित्व मिले. जेपीसी की 36 बैठकें हुईं.
6. सरकार 140 करोड़ नागरिकों की ओर से संपत्ति की संरक्षक
सरकार 140 करोड़ नागरिकों की ओर से संपत्ति की संरक्षक है. राज्य की जिम्मेदारी यह सुनिश्चित करना है कि सार्वजनिक संपत्ति का अवैध रूप से उपयोग न किया जाए. “झूठी कहानी गढ़ी जा रही है कि उन्हें दस्तावेज उपलब्ध कराने होंगे या वक्फ पर सामूहिक रूप से कब्जा कर लिया जाएगा.” वक्फ बाय यूजर एक मौलिक अधिकार नहीं है. इसे क़ानून द्वारा मान्यता दी गई थी. इस पर फैसला कहता है कि यदि अधिकार विधायी नीति के रूप में प्रदान किया जाता है, तो अधिकार हमेशा छीना जा सकता है,यही प्रस्ताव है.
7. वक्फ बोर्ड का काम पूरी तरह धर्मनिरपेक्ष
वक्फ बोर्ड का काम पूरी तरह धर्मनिरपेक्ष है, वक्फ बोर्ड वक्फ की किसी भी धार्मिक गतिविधि को नहीं छूता. जबकि हिंदू बंदोबस्ती मंदिर की हिंदू धार्मिक गतिविधियों में सीधे तौर पर शामिल है और यही अन्य धर्मों से मुख्य अंतर है. ऐसा इसलिए है क्योंकि वक्फ का मतलब केवल संपत्ति का समर्पण है.
8. वक्फ बाई यूजर' सिद्धांत का उपयोग
केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि कोई भी व्यक्ति सरकारी जमीन पर अधिकार का दावा नहीं कर सकता है. सरकार को ‘वक्फ बाई यूजर' सिद्धांत का उपयोग करके वक्फ घोषित की गई संपत्तियों को दोबारा हासिल करने का कानूनन अधिकार है.
9. वक्फ संशोधन विधेयक के विरोध में झूठी कहानी गढ़ी जा रही है
अदालत में दावा किया कि वक्फ संशोधन विधेयक के विरोध में झूठी और काल्पनिक कहानी गढ़ी जा रही है कि उन्हें दस्तावेज उपलब्ध कराने होंगे या वक्फ पर सामूहिक कब्जा कर लिया जाएगा. वक्फ कोई मौलिक अधिकार नहीं है और इसे कानून द्वारा मान्यता दी गई है. एक फैसले के मुताबिक, अगर कोई अधिकार कानून के तहत प्रदान किया जाता है, तो उसे कानून के तहत लिया भी जा सकता है.
10. वक्फ बोर्ड में दो गैर-मुस्लिमों की सदस्यों की नियुक्ति से कोई बदलाव नहीं
तुषार मेहता ने यह भी दलील दी कि वक्फ बोर्ड में अधिकतम दो गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति से कोई बदलाव नहीं आएगा. ये लोग किसी भी धार्मिक गतिविधि को प्रभावित नहीं करते. हिंदू बंदोबस्ती आयुक्त मंदिर के अंदर जा सकते हैं, मंदिरों में पुजारी का निर्णय भी राज्य सरकार कर रही है, यहां वक्फ बोर्ड धार्मिक गतिविधि में बिल्कुल दखल नहीं देता है. धर्म में धर्मनिरपेक्ष प्रथाओं को नियंत्रित करने की शक्ति होती है. संपत्ति का प्रशासन कानून के अनुसार ही होना चाहिए.
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