
- प्रवर्तन निदेशालय ने बिहार समेत कई राज्यों में अवैध शराब तस्करी के आरोप में सात स्थानों पर छापेमारी की है.
- मुजफ्फरपुर की मुखिया बबीता देवी के घर भी ईडी ने तलाशी ली, जो राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित हैं.
- इंदौर में किशोर वाधवानी और अन्य के खिलाफ 20 करोड़ से अधिक की संपत्ति ईडी ने अस्थायी रूप से अटैच की है.
केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अवैध शराब तस्करी मामले में बिहार में मुजफ्फरपुर, गुरुग्राम, नाहरलागुन, नामसाई और रांची में 7 ठिकानों पर छापेमारी कर रही है. ये कार्रवाई PMLA के तहत की जा रही है. ये कार्रवाई मुख्य सरगना सुनील भारद्वाज के करीबी लोगों पर की जा रही है.
करोड़ों की संपत्ति अटैच
इस रेड के दौरान बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के सकरा प्रखंड बिशनपुर वघनगरी मॉडल पंचायत की मुखिया बबीता देवी के यहां भी ईडी ने सर्च की है. दिलचस्प बात है कि बबीता देवी राष्ट्रपति अवॉर्ड ले चुकी हैं. बबीता देवी के यहां ईडी की रेड की खबर से पूरे मुजफ्फरपुर में खलबली मची है. इससे पहले ईडी इस केस में छापेमारी कर करीब 9.31 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच कर चुकी है. मौजूदा छापे आगे की जांच का हिस्सा हैं.
अखबार मालिक के यहा छापा
वहीं ईडी ने इंदौर में भी एक्शन लिया है. ईडी ने यहां पर कार्रवाई करते हुए 20 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति अटैच की. इंदौर में ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए करीब 11.33 करोड़ रुपये की बेनामी और अवैध संपत्तियों को अस्थायी रूप से अटैच कर लिया है, जिनकी मौजूदा कीमत 20 करोड़ रुपये से ज्यादा बताई जा रही है.
ये कार्रवाई किशोर वाधवानी, नितेश वाधवानी, पूनम वाधवानी और दबंग दुनिया पब्लिकेशंस प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ हुई है.अटैच की गई संपत्तियों में जमीन और फ्लैट शामिल हैं. ईडी की जांच एक FIR के आधार पर शुरू हुई थी, जो इंदौर के तुकोगंज थाने में दर्ज हुई थी. आरोप है कि इन लोगों ने एक साजिश रचकर सरकार को चूना लगाया और अवैध कमाई को सफेद धन में बदलने की कोशिश की.
होंगे बड़े खुलासे
जांच में सामने आया कि दबंग दुनिया पब्लिकेशंस प्राइवेट लिमिटेड का कनेक्शन एलोरा टोबैको कंपनी लिमिटेड से है, जो चोरी-छिपे सिगरेट की सप्लाई करती थी. इन सिगरेटों की नकद बिक्री से जो पैसा आता था, उसे अखबार के खातों में दिखाया जाता था , वो भी फर्जी सर्कुलेशन नंबर और झूठे विज्ञापनों के जरिए. ईडी को जांच में नकली टैक्स इनवॉइस, बढ़ा-चढ़ाकर दिखाए गए अखबार के वितरण आंकड़े और कई ऐसे लेन-देन मिले, जिनका मकसद असली पैसे के सोर्स को छुपाना था. फिलहाल, ईडी इस मामले में आगे की जांच कर रही है और आने वाले दिनों में और बड़े खुलासे हो सकते हैं.
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