2002 गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में आग लगाने के दोषियों की जमानत का मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने तीन दोषियों को जमानत देने से इनकार किया. तीनों दोषी उम्रकैद की सजा काट रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ये घटना बेहद गंभीर घटना थी. यह किसी एक व्यक्ति की अकेली मौत का मामला नहीं है. वो दोषियों की अपील पर सुनवाई के लिए बेंच का गठन करेंगे.
सुनवाई के दौरान CJI ने कहा कि हमने पहले ही कहा था कि जिनकी मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया, उन्हें जमानत नहीं दी जाएगी, जिन्होंने जलती ट्रेन पर पेट्रोल डालने जैसी विशिष्ट भूमिका निभाई थी, उनको भी जमानत नहीं मिलेगी. इन तीनों के खिलाफ विशिष्ट आरोप हैं और ये मामला भी गंभीर है. ये कोई एक इंसान की मौत का मामला नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने पिछली बार 12 में से 8 को जमानत दे दी थी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने एक आरोपी की पत्नी को कैंसर की वजह से उसकी अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ा दी थी.
सुप्रीम कोर्ट 2002 के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन में आग लगाकर 59 लोगों को जिंदा जलाए जाने के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे अब्दुल रहमान धंतिया, अब्दुल सत्तार इब्राहिम गद्दी और शौकत दोषियों की तरफ से दाखिल जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा है. गुजरात सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता कोर्ट को बताया था कि यह केवल पथराव का मामला नहीं था. दोषियों ने साबरमती एक्सप्रेस की एक बोगी को बंद कर दिया था, जिससे ट्रेन में सवार 59 यात्रियों की मौत हो गई थी और सैकड़ों लोग घायल हुए थे. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया था कि कुछ लोग कह रहे हैं कि उनकी भूमिका सिर्फ पथराव थी, लेकिन जब आप किसी बोगी को बाहर से बंद करते हैं, उसमें आग लगाते हैं और फिर पथराव करते हैं, तो यह सिर्फ पथराव का मामला नहीं है.
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