गुजरात में पाटीदार आंदोलन के वक्त हुई हिंसा मामले में कांग्रेस और पाटीदार नेता हार्दिक पटेल को सुप्रीम कोर्ट से शुक्रवार को राहत मिल गई है. कोर्ट ने हार्दिक पटेल को 6 मार्च तक अग्रिम जमानत दे दी है. साथ ही न्यायालय ने हार्दिक पटेल की याचिका पर गुजरात सरकार को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है. सरकार को छह मार्च तक जवाब देने के लिए कहा गया. उसी दिन इस मामले में सुनवाई होगी.
हार्दिक पटेल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने गुजरात सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि पांच साल से जांच पर बैठे हैं. इस मामले में क्या कदम उठाए गए हैं, जांच कहां तक पहुंची है इस बारे में कोर्ट को बताएं. पटेल ने हाईकोर्ट के अग्रिम जमानत नहीं देने के फैसले को चुनौती दी है.
सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आपको जांच में शामिल होने के लिए नोटिस जारी किए गए. हार्दिक के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि 2015 से एक बार भी नहीं बुलाया गया. FIR में हार्दिक का नाम तक नहीं है. सिर्फ एक ही धारा गैर-जमानती है. उन पर आरोप है कि राज्य सरकार के खिलाफ बयान दिए. हैरानी की बात है कि हाईकोर्ट ने कैसे अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी.
सुनवाई में उपस्थित नहीं होने के चलते हार्दिक पटेल के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी
गुजरात सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कोर्ट ने पूछा कि इस मामले में कितनी गिरफ्तारियां हुई हैं, उन्हें कब गिरफ्तार किया गया. इस पर तुषार ने बताया कि दो लोग गिरफ्तार हुए हैं. इस मामले में पुलिस वाहन और घर जलाए गए.
पत्नी किन्जल का दावा- 18 जनवरी से लापता हैं हार्दिक पटेल
उल्लेखनीय है कि गुजरात हाईकोर्ट ने 17 फरवरी को 2015 के पाटीदार आंदोलन के सिलसिले में गैरकानूनी तरीके से लोगों के जमा होने के मामले में कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी थी. न्यायमूर्ति वीएम पंचोली ने पटेल की पृष्ठभूमि के आधार पर सरकार की आपत्ति पर विचार करने के बाद उनकी जमानत अर्जी खारिज की थी.
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