सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुजरात में 2015 में पाटीदार आंदोलन (Patidar Movement) के दौरान हुई हिंसा (Violence) के सिलसिले में दर्ज मामले में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता हार्दिक पटेल (Hardik Patel) को शुक्रवार को जमानत दे दी. शीर्ष अदालत ने पटेल को इस शर्त पर जमानत दी है कि वह जांच में लगातार शामिल रहेंगे.न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने पटेल की याचिका का निस्तारण करते हुए कहा, ‘‘इस अदालत ने फरवरी 2020 में नोटिस जारी किया था और अंतरिम संरक्षण प्रदान किया था. तब से साढ़े तीन साल गुजर गये हैं. इन परिस्थितियों में हमें इस स्तर पर आदेश बदलने की कोई वजह नजर नहीं आती.''
उसने कहा, ‘‘इसलिए, याचिकाकर्ता को दिया गया अंतरिम संरक्षण अगली प्रक्रिया पूरी होने तक जारी रहेगा और अगर उन्हें जांच में शामिल होने के लिये बुलाया जाता है, तो उन्हें ऐसा करना होगा.'' शीर्ष अदालत पटेल की अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज करने के गुजरात उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती देने वाली 2020 की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी. उच्च न्यायालय ने पटेल के ‘आपराधिक इतिहास' के आधार पर सरकार की आपत्ति पर विचार करने के बाद याचिका खारिज कर दी थी.
पटेल के नेतृत्व में पाटीदार अनामत आंदोलन समिति ने सरकारी नौकरियों में समुदाय के लिए आरक्षण की मांग करते हुए जारी अपने आंदोलन के तहत अहमदाबाद में एक बड़ी रैली की थी. पुलिस ने दावा किया कि इस आयोजन के लिए आवश्यक अनुमति नहीं ली गयी थी. पुलिस ने यह दलील भी दी थी कि गैरकानूनी तरीके से भीड़ जमा होने के कारण हिंसा भड़क गई, जिसमें एक दर्जन से अधिक युवकों की मौत हो गई और संपत्ति क्षतिग्रस्त हो गई. पटेल ने उच्च न्यायालय में अपनी अग्रिम जमानत याचिका में दावा किया था कि राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी उन्हें परेशान कर रही है और उनके खिलाफ कई झूठे, फर्जी और मनगढ़ंत मामले दर्ज कराये गये हैं.
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