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'भगवान विष्णु से प्रार्थना करें...' सुप्रीम कोर्ट का खजुराहो की टूटी हुई मूर्ति मामले पर सुनवाई से किया इनकार 

याचिका में दावा किया गया कि मुगल आक्रमणों के दौरान मूर्ति को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था.याचिका में चंद्रवंशी राजाओं की ओर से निर्मित खजुराहो मंदिरों के इतिहास का वर्णन किया गया है.

'भगवान विष्णु से प्रार्थना करें...' सुप्रीम कोर्ट का खजुराहो की टूटी हुई मूर्ति मामले पर सुनवाई से किया इनकार 
  • सुप्रीम कोर्ट में खजुराहो के मंदिर में भगवान विष्णु की टूटे सिर वाली मूर्ति की पुनर्स्थापना याचिका खारिज.
  • न्यायालय ने इस मामले को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकार क्षेत्र में बताया और हस्तक्षेप से इनकार किया.
  • याचिकाकर्ता ने मूर्ति को मुगल आक्रमणों में क्षतिग्रस्त बताया और सरकार से पुनर्स्थापना की मांग की थी.
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नई दिल्‍ली:

सर्वोच्च न्यायालय ने मध्य प्रदेश के खजुराहो स्मारक समूह के जावरी मंदिर में भगवान विष्णु की 7 फुट ऊंची सिर कटी मूर्ति की पुनर्स्थापना की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है. भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि यह मामला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधिकार क्षेत्र में आता है, न कि न्यायालय के. 

'यह एक पुरातात्विक स्‍थल है'  

सुनवाई के दौरान सीजेआई बीआर गवई ने कहा, 'आप कहते हैं कि आप भगवान विष्णु के कट्टर भक्त हैं तो उनसे प्रार्थना कीजिए. यह एक पुरातात्विक स्थल है और ASI को अनुमति आदि देनी होगी.' दरअसल राकेश दलाल द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया कि मुगल आक्रमणों के दौरान मूर्ति को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था. याचिका के अनुसार सरकार से इसे पुनर्स्थापित करने के लिए बार-बार अनुरोध करने के बावजूद यह उसी अवस्था में बनी हुई है. याचिकाकर्ता के अनुसार इसमें मूल रूप से चंद्रवंशी राजाओं द्वारा निर्मित खजुराहो मंदिरों का इतिहास बताया गया था. 

याचिका में मरम्‍मत का हवाला 

याचिका में असल में चंद्रवंशी राजाओं की ओर से निर्मित खजुराहो मंदिरों के इतिहास का वर्णन किया गया है. साथ ही आरोप लगाया गया है कि औपनिवेशिक उपेक्षा और स्वतंत्रता के बाद की निष्क्रियता के कारण आजादी के 77 साल बाद भी मूर्ति की मरम्मत नहीं हो पाई है. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि मूर्ति की पुनर्स्थापना से इनकार करना श्रद्धालुओं के पूजा के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है. याचिका में मंदिर से संबंधित विरोध प्रदर्शनों, ज्ञापनों और अभियानों को उजागर किया गया, जिनका कोई जवाब नहीं मिला. 

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