
- सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में पराली जलाने वालों के खिलाफ दंडात्मक प्रावधान लागू करने की सख्त जरूरत जताई है
- चीफ जस्टिस बीआर गवई ने किसानों का सम्मान करते हुए पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देने पर जोर दिया है.
- अदालत ने केंद्र सरकार से पूछा कि पर्यावरण की रक्षा के लिए दंडात्मक कार्रवाई करने में हिचकिचाहट क्यों है.
दिल्ली- NCR में पराली जलाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court On Stubble) ने सख्ती दिखाई है. अदालत ने सरकार से कहा कि इस मामले में पराली जलाने वालों के खिलाफ दंडात्मक प्रावधान क्यों नहीं की जा रही है. सरकार कार्रवाई से कतरा क्यों रही है. कुछ लोगों को जेल भेजने से सही संदेश जाएगा. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि हम किसानों का सम्मान करते हैं क्योंकि वो हमें खाना देते हैं लेकिन किसी को भी पर्यावरण को दूषित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती.
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किसानों के लिए दंडात्मक प्रावधान क्यों नहीं?
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि आप किसानों के लिए कुछ दंडात्मक प्रावधानों के बारे में क्यों नहीं सोचते. अगर कुछ लोग जेल में हैं तो इससे सही संदेश जाएगा. अगर पर्यावरण की रक्षा करने का आपका सच्चा इरादा है तो फिर आप एक्शन लेने से क्यों कतरा रहे हैं. अदालत ने कहा कि देश में किसानों का एक विशेष स्थान है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे इसका फायदा उठाए. सरकार इस पर फैसला लें, नहीं तो अदालत आदेश जारी करेगी. गलती करने वाले अधिकारियों की तो बात छोड़िए क्यों कि हर किसान पर नज़र रखना अधिकारियों के लिए मुश्किल है. मुख्य न्यायाधीश ने CAQM से पूछा, “आप पराली जलाने वाले किसानों के लिए दंडात्मक प्रावधान लाने पर विचार क्यों नहीं करते.
पराली से दिल्ली की हवा होती है जहरीली
दिल्ली के पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा में हर साल अक्टूबर और नवंबर में पराली जलाने की घटनाएं सामने आती हैं, जिसकी वजह से दिल्ली की हवा ज़हरीली हो जाती है. किसान पराली को खेतों से हटाने के इसे जला देते हैं. जबकि पराली हटाने का विकल्प विशेष मशीनों का इस्तेमाल होता है. किसानों का तर्क है कि ये विकल्प काफ़ी महंगे हैं इसीलिए वह इस पर ध्यान नहीं दे पाते हैं. बता दें कि पराली जलाने की घटनाएं हर साल सामने आती रहती हैं, हालांकि दर्ज मामलों में कमी देखी गई है.
पराली जलाने वाले किसानों को गिरफ्तार करना जरूरी
पंजाब सरकार की ओर से पेश सीनियर वकील राहुल मेहरा ने कहा कि पिछले कुछ सालों में राज्य में पराली जलाने के मामलों में कमी आई है. तीन सालों में बहुत कुछ बदला है. इस साल भी बहुत कुछ हासिल होगा. उन्होंने कहा कि बताया कि अधिकारियों ने पहले भी पराली जलाने के मामलों में गिरफ्तारियां की हैं, लेकिन इनमें से ज़्यादातर छोटे किसान हैं. अगर आप उन्हें उठाकर सलाखों के पीछे डाल देंगे, तो उनके आश्रितों का क्या होगा. जिस पर मुख्य न्यायाधीश ने साफ किया कि उनको नियमित रूप से सलाखों के पीछे डालने की जरूरत नहीं है लेकिन एक संदेश देने के लिए यह जरूरी है.
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