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गलती तो हुई है, कमाई का कुछ हिस्सा दान कर दें... केरल के यूट्यूबर से सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा?

सूरज पलाकरन अपने यूट्यूब चैनल के माध्यम से सामाजिक मुद्दों पर वीडियो बनाते हैं. उन पर आरोप है कि उन्होंने एक वीडियो में ऐसी सूचनाएं साझा कीं, जिससे POCSO मामले के पीड़ित बच्चे की पहचान उजागर हो गई.

गलती तो हुई है, कमाई का कुछ हिस्सा दान कर दें... केरल के यूट्यूबर से सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा?
  • SC ने यूट्यूबर सूरज पलाकरन से POCSO मामले में बच्चे की पहचान उजागर करने पर बिना शर्त माफी मांगने को कहा है.
  • अदालत ने कहा कि पहचान उजागर करने में गलती अनजाने में हुई है, इसलिए बिना शर्त माफी दी जा सकती है.
  • केरल HC ने IPC 228A के तहत कार्यवाही रद्द की थी, लेकिन POCSO एक्ट के तहत ट्रायल जारी रखने का आदेश दिया था.
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नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने केरल के यूट्यूबर सूरज पलाकरन से POCSO कानून के तहत एक मामले में बच्चे की पहचान उजागर करने को लेकर बिना शर्त माफी मांगने पर विचार करने को कहा है. जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ यूट्यूबर की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने इस खुलासे के लिए उनके खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने की मांग की है .

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कमाई का कुछ हिस्सा दान कर दीजिए

पीठ ने कहा कि बच्चे की पहचान उजागर हुई है, हम यह नहीं कह रहे कि आपने जानबूझकर ऐसा किया,शायद अनजाने में हुआ हो, लेकिन गलती तो हुई है.⁠गलती के लिए बिना शर्त माफी दी जा सकती है. आपने चैनल से कमाई भी की है, तो उसका कुछ हिस्सा दान कर दीजिए. अदालत ने कहा कि कोई मजबूरी नहीं है, पर इस पर विचार करें.

इसके बाद पलाकरन के वकील ने अदालत को बताया कि बिना शर्त माफी पहले ही दे दी गई है, और मामला निपटाने का अनुरोध किया, लेकिन पीठ ने कहा कि राज्य पक्ष को सुने बिना मामला खत्म नहीं किया जा सकता.

POCSO मामले के पीड़ित की पहचान उजागर होने का आरोप

सूरज पलाकरन अपने यूट्यूब चैनल के माध्यम से सामाजिक मुद्दों पर वीडियो बनाते हैं. उन पर आरोप है कि उन्होंने एक वीडियो में ऐसी सूचनाएं साझा कीं, जिससे POCSO मामले के पीड़ित बच्चे की पहचान उजागर हो गई. दरअसल यह वीडियो एक महिला की पीड़ा को उजागर करने के उद्देश्य से बनाया गया था, जिसमें कहा गया कि उसके पति ने अपने बेटे से झूठे बयान दिलवाकर उसके खिलाफ POCSO केस दर्ज कराया था. बाद में महिला के खिलाफ कार्रवाई समाप्त कर दी गई, लेकिन पुलिस ने पलाकरन पर मामला दर्ज कर लिया.

अभियोजन के अनुसार, उनके वीडियो में बच्चे और उसके माता-पिता की पहचान से जुड़ी जानकारी और तस्वीरें शामिल थीं. उन्हें IPC की धारा 228A और POCSO अधिनियम की धारा 23 के तहत आरोपी बनाया गया. केरल हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ IPC 228A के तहत कार्यवाही तो रद्द कर दी थी, लेकिन POCSO अधिनियम की धारा 23 के तहत ट्रायल जारी रखने का आदेश दिया था. 1 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में ट्रायल पर रोक लगाते हुए कहा था कि पुलिस अभियोजन के बजाय उत्पीड़न का रवैया अपना रही है.

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