अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले के आरोपी क्रिश्चियन मिशेल जेम्स की जमानत याचिका पर SC में सुनवाई टली

CJI डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा ने जांच एजेंसियों की ओर से पेश ASG एसवी राजू से प्रत्यर्पण नियम और कानून को लेकर एक संक्षिप्त नोट दाखिल करने को कहा था. 

अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले के आरोपी क्रिश्चियन मिशेल जेम्स की जमानत याचिका पर SC में सुनवाई टली

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सीबीआई और ईडी पर बड़े सवाल उठाए थे

नई दिल्‍ली :

अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले के आरोपी, बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल जेम्स की जमानत याचिका पर सुनवाई सात फरवरी को होगी. सुप्रीम कोर्ट ने आज समय न होने के कारण सुनवाई टाल दी. बता दें, 6 दिसंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई और ईडी पर बड़े सवाल उठाते हुए कहा था, "इस मामले में हमारी बड़ी चिंता है. क्या मिशेल को सिर्फ इसलिए जेल में रखा जाए क्योंकि वो एक विदेशी है? 2013 की एफआईआर है. आरोपी सरकारी अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की एक भी मंज़ूरी नहीं मिली. ट्रायल कहीं नहीं पहुंचा. मिशेल को प्रत्यर्पित किए हुए चार साल बीत चुके है, उसे कब तक जेल में  रखा जा सकता है? अगर वह भारतीय होता तो इन परिस्थितियों में जमानत मिल जाती. स्वतंत्रता का हनन हो या शर्तों को लागू किया जाए. हमें अपना विवेक लगाना होगा." CJI डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा ने जांच एजेंसियों की ओर से पेश ASG एसवी राजू से प्रत्यर्पण नियम और कानून को लेकर एक संक्षिप्त नोट दाखिल करने को कहा था. 

सुनवाई के दौरान मिशेल के वकील ने कहा था कि याचिकाकर्ता पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत भ्रष्टाचार के अपराधों का आरोप लगाया गया है जो 2014 में इसके संशोधन से पहले अधिकतम पांच साल की सजा का प्रावधान करता था. मिशेल को 4 दिसंबर, 2018 को दुबई से प्रत्यर्पित किया गया था और वह लगभग 4 सालों से हिरासत में है. पिछले 10 साल से जांच चल रही है. जांच अभी भी चल रही है. उन्हें शर्तों के साथ जमानत पर रिहा किया जा सकता है. दूसरी ओर, सीबीआई और ईडी की ओर से पेश ASG एसवी राजू ने जमानत का विरोध किया था. उन्‍होंने कहा कि सीबीआई मामले में उस पर आईपीसी की धारा 467 (एक मूल्यवान दस्तावेज की जालसाजी) का आरोप लगाया गया है जिसमें अधिकतम सजा 10 साल या आजीवन कारावास है. ED ने भी सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि मिशेल भारत का नागरिक नहीं है. उसके फरार होने का खतरा है. उसका प्रत्यर्पण अत्यधिक कठिनाइयों और प्रक्रियात्मक बाधाओं के साथ हुआ है. इसके अलावा वर्तमान मामले में अपराध  में लेन-देन का एक जटिल जाल है, उसके संबंध में जांच जारी है और सभी चरणों में याचिकाकर्ता की उपस्थिति महत्वपूर्ण है. यह आशंका है कि यदि याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा किया जाता है तो वह जांच से बचने के लिए भाग सकता है. ये  कार्यवाही के दौरान प्रतिकूल होगा.

इससे पहले 18 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने CBI और ED को नोटिस जारी किया था और पक्षकारों को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिये एक महीने का समय दिया था. याचिकाकर्ता जेम्स की ओर से कहा गया है कि PC एक्ट के तहत 5 साल में से साढ़े तीन साल की सजा काट चुके हैं जो कि 50 फीसदी से भी ज्यादा है. उसके खिलाफ इटली कोर्ट से वारंट जारी हुआ था, वहां पर पूरा सहयोग किया है और उसको ज़मानत मिलनी चाहिए. केंद्र ने कोर्ट से कहा था कि मिशेल को बड़ी मुश्किल से यहां लाया गया है और अभी तक उसे किसी अदालत ने दोषमुक्त नहीं किया है. दरअसल अगस्ता वेस्टलैंड डील मामले में कथित बिचौलिए जेम्स को जमानत देने से इनकार करने के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. वेस्टलैंड घोटाले की जांच CBI और ED द्वारा जांच की जा रही है.

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