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This Article is From Mar 14, 2023

पुरानी कर व्यवस्था या New Income Tax Regime : किसमें है टैक्सपेयर को फायदा - चार्ट से समझें

New Income Tax Regime changed in Budget 2023: हम आपको पुरानी कर व्यवस्था, मौजूदा नई कर व्यवस्था और 1 फरवरी को आम बजट 2023 में प्रस्तावित नई कर व्यवस्था में लागू होने वाले टैक्स का आकलन कर टेबल के ज़रिये यह भी समझाएंगे कि किस प्रणाली में रहने पर आपको कितना टैक्स अदा करना होगा.

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पुरानी कर व्यवस्था या New Income Tax Regime : किसमें है टैक्सपेयर को फायदा - चार्ट से समझें
जानें, Budget 2023 में प्रस्तावित New Tax Regime में कितनी आय वालों को कितना इनकम टैक्स देना होगा, और उन्हें कितनी बचत होगी...
नई दिल्ली:

आम बजट 2023, यानी Budget 2023 में केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा इनकम टैक्स रिजीम (Income Tax Regime) से जुड़े नियमों में बदलाव की घोषणा के बाद से ही अधिकतर नौकरीपेशा लोग असमंजस में हैं. उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि पुरानी टैक्स व्यवस्था (Old Tax Regime) बरकरार है या नहीं, नई कर व्यवस्था में बदलाव के मायने क्या हैं, और New Tax Regime में किए गए इन बदलावों का उनकी कर देयता पर क्या असर होगा, या आसान शब्दों में कहें, तो उन्हें इनकम टैक्स नियमों में किए गए नए बदलावों से कितना लाभ होगा. आज हम आपके लिए आपके सभी सवालों के जवाब तो लाए ही हैं, हम आपको यह भी बताएंगे कि नई दरों से कितनी कमाई करने वाले को कितनी बचत होगी.

सबसे पहले, यह समझना ज़रूरी है कि वित्तमंत्री ने नई टैक्स व्यवस्था को डीफ़ॉल्ट व्यवस्था घोषित कर दिया है, लेकिन पुरानी टैक्स व्यवस्था को खत्म नहीं किया गया है, और अब भी करदाताओं द्वारा चुनने के लिए पुरानी टैक्स व्यवस्था का विकल्प मौजूद रहेगा. सो, लाइफ इंश्योरेंस, PPF, बच्चों की स्कूल फ़ीस आदि के अलावा होम लोन पर ब्याज़, नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) या मकान किराया भत्ता जैसी छूट हासिल करते रहने के इच्छुक लोग पुरानी टैक्स व्यवस्था में ही पुरानी दरों पर ही टैक्स जमा कराते रह सकेंगे.

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हम आपको पुरानी कर व्यवस्था, मौजूदा नई कर व्यवस्था और बुधवार को प्रस्तावित नई कर व्यवस्था में बनने वाले टैक्स का आकलन कर टेबल के ज़रिये यह भी समझाएंगे कि किस प्रणाली में रहने पर आपको कितना टैक्स अदा करना होगा.

हमने चार ऐसे नौकरीपेशा लोगों के उदाहरण लिए हैं, जिनकी आय क्रमशः 7 लाख रुपये वार्षिक, 10 लाख रुपये वार्षिक, 12 लाख रुपये वार्षिक तथा 15 लाख रुपये वार्षिक हैं. ये लोग इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80सी के तहत मिलने वाली छूट, मकान किराया भत्ते या होम लोन के ब्याज़ के तौर पर मिलने वाली छूट, NPS के अंतर्गत ली जाने वाली छूट आदि भी हासिल करते हैं. तो किस व्यवस्था में किसे कितना टैक्स देना होगा, इन तीन टेबलों से समझें.

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पुरानी टैक्स व्यवस्था वाली पहली टेबल में आप देखेंगे, चारों लोगों को मानक कटौती का लाभ मिला है, धारा 80सी के तहत भी चारों ने ही अधिकतम बचत की है, चारों ही लोगों ने NPS में भी 50,000 रुपये का निवेश किया है, और मकान किराया भत्ता या होम लोन पर चुकाए गए ब्याज पर भी छूट हासिल की है.

पहली टेबल (पुरानी टैक्स व्यवस्था) में 7 लाख रुपये वार्षिक आय वाले पहले शख्स की करयोग्य आय सभी तरह की छूट पाने के बाद 3,70,000 रुपये रह गई है, जिस पर उसकी कर देनदारी 6,240 रुपये होने के बावजूद इनकम टैक्स एक्ट की धारा 87ए के तहत मिली छूट के बाद शून्य हो गई है. कुल 4 लाख रुपये की कटौतियों और छूट के बाद 10 लाख रुपये वार्षिक आय वाले दूसरे शख्स की करयोग्य आय 6,00,000 रुपये रह जाती है, जिस पर उसे 33,800 रुपये का इनकम टैक्स चुकाना होता है. इसी प्रकार, छूट और कटौतियों को समाहित करने वाली पुरानी व्यवस्था में 12 लाख रुपये और 15 लाख रुपये प्रति वर्ष कमाने वाले लोगों को भी क्रमशः 75,400 रुपये और 1,06,600 रुपये का इनकम टैक्स देना होगा.

दूसरी टेबल (मौजूदा नई टैक्स व्यवस्था) में भी इन्हीं चार लोगों के देय आयकर की गणना की गई है, लेकिन इस व्यवस्था में उन्हें किसी प्रकार की छूट या कटौती उपलब्ध नहीं है, सो इन चारों की देनदारी क्रमशः 33,800 रुपये, 78,000 रुपये, 1,19,600 रुपये और 1,95,000 रुपये हो जाती है.

तीसरी टेबल (प्रस्तावित नई टैक्स व्यवस्था) में फिर एक बार इन्हीं चार लोगों के इनकम टैक्स की कैलकुलेशन की गई है, लेकिन इस बार इन्हें मानक कटौती का लाभ मिलेगा, और इसके अलावा धारा 87ए की छूट सीमा बढ़ाए जाने व नई दरों की बदौलत 7 लाख रुपये वार्षिक आय वाले शख्स को एक बार फिर कोई कर नहीं देना होगा. 10 लाख रुपये वार्षिक आय वाले शख्स को 54,600 रुपये चुकाने होंगे, 12 लाख रुपये वार्षिक आय वाले शख्स को 85,800 रुपये इनकम टैक्स के रूप में देने होंगे, और 15 लाख रुपये वार्षिक आय वाले शख्स को कुल 1,45,600 रुपये का टैक्स अदा करना होगा.

सो, अब आप देख सकते हैं कि अगर आप कटौतियों और छूट के मद में 2.5-3 लाख रुपये से ज़्यादा की छूट हासिल कर रहे हैं, तो पुरानी टैक्स व्यवस्था में बने रहने में आपको लाभ है, वरना फायदा नई टैक्स व्यवस्था को अपना लेने में ही है.

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