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मोदी सरकार ने अरावली पहाड़ियों के लिए ‘डेथ वारंट’ जैसा कदम उठाया है : सोनिया गांधी

सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार पर अरावली पहाड़ियों के लिए नियम बदलने को लेकर हमला बोला है. कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि ये एक तरह से डेथ वारंट पर जैसा है.

मोदी सरकार ने अरावली पहाड़ियों के लिए ‘डेथ वारंट’ जैसा कदम उठाया है : सोनिया गांधी
सोनिया गांधी का लेख
नई दिल्ली:

कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने बुधवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने अरावली पहाड़ियों के लिए ‘‘डेथ वारंट'' जैसा कदम उठाया है. उन्होंने अंग्रेजी दैनिक अखबार ‘द हिंदू' के लिए लिखे एक लेख में इस बात का उल्लेख किया कि अरावली के 100 मीटर से कम ऊंचाई वाले किसी भी क्षेत्र में खनन को छूट दे दी गई है.

डेथ वारंट पर हस्ताक्षर जैसा

सोनिया गांधी ने कहा, ‘‘गुजरात से लेकर राजस्थान और हरियाणा तक फैली अरावली पर्वतमाला ने लंबे समय से भारतीय भूगोल और इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. मोदी सरकार ने अवैध खनन से पहले ही बर्बाद हो चुकी इन पहाड़ियों के लिए अब लगभग ‘डेथ वारंट' पर हस्ताक्षर कर दिए हैं.''

सरकार ने बदल दिए हैं नियम 

उन्होंने कहा, ‘‘सरकार ने घोषणा की है कि 100 मीटर से कम ऊंचाई वाली कोई भी पहाड़ी खनन के खिलाफ कड़े प्रतिबंधों के अधीन नहीं है. यह फैसला अवैध खननकर्ताओं और माफियाओं के लिए खुला निमंत्रण है कि वे इस श्रृंखला के उस 90 प्रतिशत हिस्से का भी सफाया कर दें, जो सरकार द्वारा निर्धारित ऊंचाई सीमा से नीचे आता है.'' कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि सरकारी नीति निर्धारण में पर्यावरण के प्रति गहरी और निरंतर उपेक्षा व्याप्त है.

स्वतंत्र रूप से काम करने की अनुमति

उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण को व्यवस्थित रूप से कमजोर कर दिया गया है, लेकिन अब उसके गौरवपूर्ण स्थान को बहाल किया जाना चाहिए और सरकारी नीति और दबाव से स्वतंत्र रूप से कार्य करने की अनुमति दी जानी चाहिए.

केंद्र सरकार को नसीहत 

सोनिया गांधी ने कहा, ‘‘हमें पर्यावरणीय मामलों पर अधिक अंतर-सरकारी समन्वय के साथ काम करने की आवश्यकता है. एनसीआर में वायु प्रदूषण संकट के लिए भूजल यूरेनियम संदूषण मुद्दे की तरह ही एक संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण के साथ एक क्षेत्रीय दृष्टिकोण की आवश्यकता है.'' उन्होंने कहा कि पर्यावरण संबंधी मामलों पर तो मोदी सरकार को सहकारी संघवाद की भावना अवश्य प्रदर्शित करनी चाहिए.

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत की पर्यावरण नीतियों को कानून के शासन के प्रति सम्मान, स्थानीय समुदायों के खिलाफ नहीं बल्कि उनके साथ काम करने की प्रतिबद्धता और पर्यावरण व मानव विकास के बीच अटूट संबंध की समझ द्वारा निर्देशित किया जाना चाहिए. कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘केवल ऐसे दृष्टिकोण के साथ ही हम स्वस्थ और सुरक्षित भारत निर्माण कर सकते हैं.''

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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