महिला आरक्षण यानी नारी शक्ति अभिनंदन कानून के प्रावधानों को शीघ्र लागू करने वाली जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. कोर्ट ने छह हफ्ते में सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा है. अब इस मामले की सुनवाई जनवरी में होगी. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि प्रशांत भूषण की याचिका निष्प्रभावी हो गई है. क्योंकि उसमें इस बाबत बिल लाने का निर्देश सरकार को देने की गुहार लगाई गई थी. लेकिन अब ये कानून बन चुका है.
दूसरी याचिका कांग्रेस नेता जया ठाकुर की है. इसमें इस कानून के प्रावधानों को अतिशीघ्र लागू करने की मांग की गई है. याचिकाकर्ता ने इसे आगामी लोकसभा चुनाव से पहले लागू कराने की गुहार लगाई है. जस्टिस खन्ना ने कहा कि वैसे तो हम अमूमन सरकार की नीति के मामले में सरकार को निर्देश देने से परहेज करते हैं. लेकिन ये मामला संवेदनशील है लिहाजा सरकार को नोटिस जारी कर उनका पक्ष भी जानना चाहेंगे.
याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट विकास सिंह ने कहा कि हम निर्देश देने को नहीं कह रहे हैं. हम तो इसके प्रावधान शीघ्र लागू करने को कह रहे हैं. जस्टिस खन्ना ने कहा कि जहां आरक्षण दिए जाने वाले वर्ग के मतदाता अधिक हों उनमें से ही आरक्षित सीट तय की जाती है. उसे समय-समय पर बदला जाता है. लेकिन महिला आरक्षण में ये भी देखना और अनुकूल क्षेत्रों की पहचान करनी होगी कि रोटेशन किस तरह होगा. विकास सिंह ने कहा कि अगर सरकार अगली जनगणना का इंतजार करेगी तो छह सात साल और लग जाएंगे.
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