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राजनीतिक दल वर्कप्लेस पर महिला उत्पीड़न कानून के दायरे में नहीं आएंगे, SC ने फैसले में क्या कहा?

भारत के चीफ जस्टिस बी आर गवई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने इस मामले मे दाखिल अपील को खारिज करते हुए कहा कि ⁠ऐसा करने से यह ब्लैकमेल का एक साधन बन जाएगा. 

राजनीतिक दल वर्कप्लेस पर महिला उत्पीड़न कानून के दायरे में नहीं आएंगे, SC ने फैसले में क्या कहा?
  • SC का राजनीतिक दलों को कार्यस्थलों पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न से बचाने वाले कानून के दायरे में लाने से इनकार.
  • चीफ जस्टिस बी आर गवई ने कहा कि राजनीतिक दलों को इस कानून में लाने से ब्लैकमेल का साधन बन सकता है.
  • अदालत ने माना कि राजनीतिक दलों और उनके सदस्यों के बीच नियोक्ता-कर्मचारी संबंध नहीं होता है.
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सुप्रीम कोर्ट ने कार्यस्थलों पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न को रोकने से जुड़े 2013 के कानून (POSH) के दायरे में राजनीतिक दलों को लाने से इनकार कर दिया है. भारत के चीफ जस्टिस बी आर गवई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने इस मामले में दाखिल अपील को खारिज करते हुए कहा कि ⁠ऐसा करने से यह ब्लैकमेल का एक साधन बन जाएगा. 

चीफ जस्टिस बी आर गवई ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा करना ब्लैकमेल का एक साधन बन जाएगा. ⁠इतना ही नहीं इस कानून को राजनीतिक दलों पर लागू करने से ऐसे मामलों के लिए भानुमती का पिटारा खुल जाएगा. चीफ जस्टिस का कहना है कि किसी राजनीतिक दल में शामिल होना उस दल में नौकरी करने के समान नहीं है. राजनैतिक दल और उसके सदस्यों के बीच नियोक्ता और कर्मचारी का संबंध नहीं होता है. 

चीफ जस्टिस गवई ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि आप राजनीतिक दलों को कार्यस्थल पर कैसे रखते हैं? ⁠वहां कोई रोजगार नहीं है ⁠क्योंकि जब कोई व्यक्ति किसी राजनीतिक दल में प्रवेश करता है तो यह नौकरी नहीं है, वहां कोई भुगतान नहीं होता है 

दरअसल एडवोकेट अधिवक्ता योगमाया एमजी ने केरल हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. इससे पहले हाई कोर्ट ने यह माना था कि राजनीतिक दल, कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के अनुसार इस अधिनियम के तहत,आंतरिक शिकायत समिति की स्थापना के लिए कानूनी रूप से उत्तरदायी नहीं हैं. हाई कोर्ट ने भी तर्क दिया था कि ⁠ऐसा इसलिए है क्योंकि राजनीतिक दल और इसके सदस्यों के बीच नियोक्ता-कर्मचारी संबंध नहीं है.

पिछले साल दिसंबर में, शीर्ष अदालत ने इसी तरह की एक याचिका को डिस्पोज कर दिया था. लेकिन साथ ही याचिकाकर्ता को भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) से संपर्क करने का निर्देश दिया था, जिसमें कहा गया था कि चुनाव आयोग मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों से यौन उत्पीड़न की शिकायतों से निपटने के लिए एक आंतरिक तंत्र (इंटर्नल सिस्टम) स्थापित करने का आग्रह करने के लिए सक्षम प्राधिकारी है.

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