समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम के निर्वाचन रद्द मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. इससे पहले इलाहाबाद HC ने समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम का निर्वाचन रद्द कर दिया था. हाईकोर्ट ने अब्दुल्ला आजम खान की राज्य विधानसभा की सदस्यता चुनाव में एक फर्जी हलफनामा पेश करने के मामले में खत्म कर दी थी.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अब्दुल्ला आजम के वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट के सामने इस मामले की जांच के दौरान पूछे गए सवालों पर सवाल उठाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट को यह देखना चहिए की जांच के दौरान किस तरह के सवाल पूछे गए. क्या इस तरह के सवाल जांच के दौरान पूछे जाते है? हमारे मुवक्किल और बयान देने वाले का क्रॉस एग्जामिनेशन भी नहीं किया गया है.
सिब्बल ने कहा कि AIIMS में भी जन्म प्रमाण पत्र को डायरेक्ट या डिपार्टमेंट के हेड वेरीफाई नहीं करते हैं. सिब्बल ने कहा कि अगर यह आरोप लगाया जा रहा है कि अब्दुल्ला आजम का जन्म रामपुर में हुआ तो उनको कोई सबूत पेश करना होगा. सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि पहला वाला पासपोर्ट 2006 में जारी करवाया गया था. लेकिन उस पर जन्मतिथि बाद में सही कराई गई थी.
अब्दुल्ला आजम के निर्वाचन के खिलाफ तत्कालीन बीएसपी नेता नवाब काजिम अली ने याचिका दायर की थी. हालांकि नवाब अब कांग्रेस में हैं. दायर याचिका में कहा था, "साल 2017 में चुनाव के समय अब्दुल्ला की आयु 25 साल से कम थी, लेकिन चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने फर्जी दस्तावेज पेश किए. बता दें कि अब्दुल्ला आजम खान को रामपुर जिले की 34 स्वार विधानसभा सीट से 11 मार्च, 2017 को विधायक चुना गया था. उन्होंने समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था.
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