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This Article is From Jan 17, 2017

रिपोर्ट न देने पर 10 राज्यों को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, "यह पंचायत नहीं है और इसे हल्के में नहीं ले सकते"

रिपोर्ट न देने पर 10 राज्यों को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, "यह पंचायत नहीं है और इसे हल्के में नहीं ले सकते"
सर्वोच्च न्यायालय (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: स्पीड गवर्नर लगाने की मांग वाली याचिका पर 10 राज्यों द्वारा जवाब दाखिल न करने से सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार किया. प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा, "यह सर्वोच्च न्यायालय है या कोई मजाक न्यायालय? यह पंचायत नहीं है और इसे हल्के में नहीं ले सकते."

सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को 10 राज्यों के परिवहन सचिवों से वाहनों में स्पीड गवर्नर (गति सीमा तय करने का यंत्र) लगाने की मांग वाली याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा. न्यायालय ने कहा है कि ऐसा न करने पर उन्हें उसके समक्ष पेश होना पड़ेगा. गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) सुरक्षा फाउंडेशन ने कुछ श्रेणी के यात्री व परिवहन वाहनों को स्पीड गवर्नर लगाने से छूट प्रदान करने की सरकार की 15 अप्रैल, 2015 की अधिसूचना को चुनौती दी है.

इन राज्यों ने नहीं दाखिल किया जवाब
आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, नागालैंड, सिक्किम, तमिलनाडु, दिल्ली, त्रिपुरा, राजस्थान तथा मध्य प्रदेश द्वारा आदेश की नाफरमानी पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए न्यायालय ने मामले की सुनवाई चार सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी.

सर्वोच्च न्यायालय ने देश भर के वाहनों में स्पीड गवर्नर लगाने की एक एनजीओ की मांग वाली जनहित याचिका पर केंद्र सरकार, सभी राज्य सरकारों तथा केंद्र शासित प्रदेशों से 20 नवंबर, 2015 को जवाब मांगा था.

सर्वोच्च न्यायालय ने कुछ यात्री व वाणिज्यिक वाहनों को स्पीड गवर्नर लगाने से छूट के तर्क पर सवाल उठाया था, क्योंकि केंद्रीय मोटर वाहन (छठा संशोधन) नियम के तहत इन वाहनों में स्पीड गवर्नर लगाना अनिवार्य है. वाहनों को स्पीड गवर्नर लगाने से छूट को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि यही वाहन अधिकांश सड़क दुर्घटनाओं के जिम्मेदार होते हैं.

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