सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को विशेष एनआईए कोर्ट को भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी वरनन गोंजाल्विस पर तीन महीने की के भीतर आरोप तय करने पर फैसला करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने NIA कोर्ट को निर्देश दिया कि वह मामले में आरोपी द्वारा दायर आरोपमुक्ति आवेदनों पर भी एक साथ फैसला करे. जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस रवींद्र भट की पीठ ने मामले में आरोपी गोंजाल्विस की जमानत याचिका पर विचार करते हुए यह निर्देश दिया. पीठ ने NIA को भीमा कोरेगांव मामले में फरार अन्य आरोपी व्यक्तियों से एक्टिविस्ट गोंजाल्विस के मुकदमे को अलग करने के लिए उपयुक्त कदम उठाने का निर्देश दिया.
पीठ ने NIA से फरार आरोपियों के लिए भगोड़ा अपराधी नोटिस जारी करने को भी कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने गोंजाल्विस की जमानत याचिका पर तीन महीने के बाद सुनवाई करने को कहा है. अदालत 2019 के बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली गोंजाल्विस द्वारा दायर याचिका पर विचार कर रही थी, जिसमें उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी. बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2019 में एक्टिविस्ट सुधा भारद्वाज, वरनन गोंसाल्वेस और अरुण फरेरा द्वारा दायर जमानत आवेदनों को खारिज कर दिया था.
अदालत ने कहा था कि प्रथम दृष्टया सबूत हैं कि तीनों आरोपी CPI (माओवादी) के सक्रिय सदस्य थे, जो एक प्रतिबंधित संगठन है, और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम ( UAPA) की धारा 20 आकर्षित होती है. बेंच ने दलीलें सुनने के बाद पाया कि गोंजाल्विस को पहले प्रतिबंधित संगठन का हिस्सा होने के लिए दोषी ठहराया गया था.
पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि सामान्य परिस्थितियों में जब किसी पर पहली बार आरोप लगाया जाता है तो हम उन्हें संदेह का लाभ देते हैं. आपके मामले में आपको प्रतिबंधित संगठन का हिस्सा होने के लिए दोषी ठहराया गया है. आप निर्दोष व्यक्ति नहीं हैं.
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