- पुणे एंटी करप्शन ब्यूरो ने 5 दिसंबर को दो आरोपियों को आठ करोड़ रुपये की रिश्वत मांगने पर गिरफ्तार किया.
- आरोपी विनोद देशमुख और भास्कर पावळ ने सरकारी भूमि अभिलेख से जुड़े दस्तावेजों के बदले भारी रिश्वत मांगी थी.
- शिकायतकर्ता की पुणे कैंटोनमेंट क्षेत्र की जमीन के दस्तावेज अपडेट कराने के लिए आठ करोड़ रुपये की मांग हुई थी.
पुणे एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने 5 दिसंबर को एक हाई-प्रोफाइल ट्रैप ऑपरेशन में दो व्यक्तियों को 8 करोड़ रुपये की भारी-भरकम रिश्वत मांगने के आरोप में गिरफ्तार किया. यह मामला पुणे शहर के विश्वामनगर पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया है. दोनों आरोपी शिकायतकर्ता से सरकारी भूमि अभिलेख से जुड़े दस्तावेजों और नोंदणी के बदले करोड़ों की मांग कर रहे थे.
कौन हैं आरोपी?
1. विनोद देशमुख (50 वर्ष)
सरकारी भूमि अभिलेख विभाग से जुड़े कार्यों में सक्रिय
कार्यालय: न्यू भामा सोसायटी, वडगांव बुद्रुक, पुणे
2. भास्कर पावळ (56 वर्ष)
खुद को 'सरकारी भू-अधिग्रहण सलाहकार व ऑडिटर' बताने वाला
पता: रामपुर रोड, मंगुठा मंदिर के पास, रहीमाबाद, नवी मुंबई
दोनों आरोपियों ने मिलकर शिकायतकर्ता से कुल 8 करोड़ रुपये की मांग रखी थी.
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रिश्वत की मांग कैसे शुरू हुई?
शिकायतकर्ता की 32 गुंठे सोसाइटी की जमीन पुणे के कैंटोनमेंट क्षेत्र में है. 2005 के बाद नए 7/12 उतारे और नक्शे के लिए वे लगातार सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहे थे, लेकिन 2020 के बाद काम पूरी तरह ठप हो गया. कुछ सरकारी अधिकारियों और बिचौलियों ने इशारा किया कि काम तभी होगा जब पैसे दिए जाएं. इसी दौरान विनोद देशमुख और भास्कर पावळ ने शिकायतकर्ता से संपर्क किया.
8 करोड़ की रिश्वत की मांग
आरोप हैं कि दस्तावेज अपडेट और नोंदणी कराने के बदले 8 करोड़ रुपये की सीधी मांग की गई. 2025 में तो वे शिकायतकर्ता के घरवालों से भी संपर्क करने लगे, दबाव और मानसिक तनाव बढ़ाने लगे. थक-हारकर शिकायतकर्ता ने 5 दिसंबर 2025 को ACB से संपर्क किया.
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ACB ने क्या एक्शन लिया?
ACB ने शिकायत की जांच की और आरोप सही पाए. एंटी करप्शन ब्यूरो ने पाया कि आरोपियों ने पहले किस्त के तौर पर 30 लाख रुपये मांगे. तय योजना के अनुसार शिकायतकर्ता 5 दिसंबर को उनके बताए स्थान पर पहुंचा. जैसे ही दोनों आरोपियों ने 30 लाख रुपये रिश्वत के लिए, ACB टीम ने उन्हें रंगेहाथ दबोच लिया.
क्या कार्रवाई हुई?
दोनों व्यक्तियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत मामला दर्ज हुआ है. इनपर रिश्वत मांगने, रिश्वत स्वीकारने और सरकारी प्रक्रिया में बाधा डालने के आरोप लगे.
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