- स्टैंड-अप कॉमेडियन शेरोन वर्मा ने अपने शो में ‘Free Palestine’ जिक्र करते हुए एक ट्रोल के कमेंट पर किया था
- उनके मजाक को लेकर सोशल मीडिया पर विवाद शुरू हो गया, जिसमें कई लोगों ने इसे संवेदनहीन बताया
- आलोचकों का कहना था कि शेरोन ने एक गंभीर मुद्दे को कॉमेडी में घसीटकर पीड़ितों का मजाक बनाया
स्टैंड-अप कॉमेडियन शेरोन वर्मा, कॉमेडी शो India's Got Latent में अपने फेमस किरदार ‘वीक इंडिपेंडेंट गर्ल' के लिए जानी जाती हैं. हाल ही में एक परफॉर्मेंस के दौरान किए गए मजाक को लेकर सोशल मीडिया पर वो विवादों में घिर गई हैं. यह विवाद तब शुरू हुआ, जब उनके शो का एक वीडियो क्लिप वायरल हो गया, जिसमें उन्होंने ‘Free Palestine' का जिक्र किया था. उनकी यह क्लिप तेजी से X और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर ट्रेंड करने लगी.
Sharon Verma: Khud Ke Bartan Nahi Ho Rahe Shine, Yeh Karenge Free Palestine. 😂😂😂
— Incognito (@Incognito_qfs) December 26, 2025
The joke was about misogynists taking a bigger stand to look cool. And it has hit the right spot too. This one line has hurt lot of Jihadis. pic.twitter.com/GyfEJx1EPy
क्या था मामला?
लाइव शो के दौरान शेरोन ने एक ट्रोल का कमेंट पढ़ा, जिसमें लिखा था कि उन्हें “रसोई में जाकर बर्तन धोने चाहिए.” कमेंट करने वाले शख्स की प्रोफाइल देखने पर शेरोन ने नोट किया कि उसकी बायो में ‘Free Palestine' लिखा हुआ था. इस पर उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “जो लोग फिलिस्तीन की आजादी की बात करते हैं, वे अपने बर्तन तक चमका नहीं सकते और मुझे किचन में देखना चाहते हैं.” उनके इस परफॉर्में से भले ही ऑडियंस गुदगुदाई हो, लेकिन जब यह क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो बहस छिड़ गई.
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विवाद क्यों हुआ?
कई सोशल मीडिया यूजर्न ने शेरोन के मजाक को संवेदनहीन बताया. लोगों का कहना है उन्होंने एक गंभीर भू-राजनीतिक मुद्दे को कॉमेडी में घसीटकर उसका मजाक बनाकर रख दिया, जो पीड़ितों के लिए काफी तकलीफदेह हो सकता है. एक यूज़र ने इसे “क्रूर परफॉर्मेटिविटी” करार देते हुए लिखा कि नरसंहार और सामूहिक पीड़ा का मजाक बनाना कोई व्यंग्य नहीं हो सकता है.
समर्थकों का तर्क
दूसरी ओर, शेरोन के समर्थकों ने उनका बचाव किया. उनका कहना था कि कॉमेडियन ने न तो फिलिस्तीन और न ही उसके लोगों का मजाक उड़ाया, बल्कि उन लोगों की दोहरी मानसिकता को उजागर किया जो सोशल मीडिया पर वैश्विक मुद्दों के लिए आवाज उठाते हैं लेकिन खुद लैंगिक भेदभाव से ग्रस्त होते हैं. इसके साथ ही कई यूज़र्स ने लिखा कि शेरोन का निशाना कारण या समुदाय नहीं, बल्कि उस व्यक्ति की पाखंडपूर्ण सोच थी.
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