झारखंड के जिस जख्मी पुलिसकर्मी की फोटो हुई थी वायरल, उसने बताया कैसे भीड़ हुई हिंसक

Jharkhand Violence: घायल पुलिस कर्मी अवधेश ठाकुर का कहना है कि स्थिति के हिंसक होने की उम्मीद नहीं थी, हालांकि पैगंबर पर टिप्पणी को लेकर विरोध होना था

झारखंड के जिस जख्मी पुलिसकर्मी की फोटो हुई थी वायरल, उसने बताया कैसे भीड़ हुई हिंसक

Ranchi Violence: भीड़ की पत्थरबाजी से घायल हुए पुलिसकर्मी अवधेश ठाकुर.

खास बातें

  • रांची पुलिस ने पहले समुदाय के बुजुर्गों से बात की थी
  • आश्वासन दिया गया था कि केवल शटर-डाउन किए जाएंगे
  • अचानक जुलूस निकलने लगा और पथराव होने लगा
रांची:

Ranchi Protest: झारखंड (Jharkhand) की राजधानी रांची में गत शुक्रवार को पैगंबर मुहम्मद (Prophet Muhammad) के बारे में बीजेपी (BJP) नेताओं की कथित टिप्पणियों के विरोध में भीड़ के प्रदर्शन और फिर हिंसा के बाद एक पुलिसकर्मी (Policeman) की खून से लथपथ सिर पर कपड़ा पकड़े एक तस्वीर वायरल हो गई. सोमवार को एनडीटीवी से बात करते हुए घायल पुलिसकर्मी डेली मार्केट स्टेशन हाउस ऑफिसर अवधेश ठाकुर ने कहा कि पुलिस को स्थिति के हिंसक होने की उम्मीद नहीं थी, हालांकि विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई गई थी. रांची में हुई हिंसा में दो प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई और पुलिस कर्मियों सहित 20 से अधिक लोग घायल हो गए.

अवधेश ठाकुर ने कहा कि पुलिस ने गुरुवार को कुछ हाजियों सहित समुदाय के बुजुर्गों से बात की थी. उन्होंने कहा कि "उन्होंने हमें आश्वासन दिया था कि केवल शटर-डाउन किया जाएगा, कोई जुलूस नहीं निकाला जाएगा." चूंकि पिछले कुछ दिनों से टिप्पणियों को लेकर विवाद चल रहा था, शुक्रवार को साप्ताहिक सामूहिक प्रार्थना (नमाज) के बाद विरोध प्रदर्शन की आशंका थी.

प्रदर्शनकारियों की ओर से निलंबित बीजेपी नेता नूपुर शर्मा का पुतला फूंकने के बाद स्थिति बिगड़ गई. नुपूर शर्मा की पिछले महीने एक टीवी शो में की गई टिप्पणियों का भारत और विदेशों में भी विरोध हुआ. अवधेश ठाकुर ने कहा कि "भीड़ ने अचानक एक जुलूस शुरू किया. तब वहां वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी मौजूद थे. चूंकि वहीं पर बजरंग बली का एक मंदिर है, इसलिए हम चिंतित थे कि उस पर हमला किया जाएगा." 

उन्होंने बताया कि "अचानक, पत्थरबाजी शुरू हो गई. मुझे लगता है कि शुरुआती पथराव के दौरान मुझे एक पत्थर लगा और मैं तुरंत गिर गया. कुछ सहयोगी मुझे मंदिर परिसर में ले गए. बहुत खून बह रहा था. जब पत्थर मंदिर के अंदर गिरने लगे, तो वे मुझे पहली मंजिल पर ले गए. मैं वहां लगभग 20 मिनट तक रहा. सड़क पर बहुत भीड़ थी."

उन्होंने बताया कि उन्हें मंदिर के पिछले दरवाजे पर एक बाइक मिली. एक व्यक्ति उनको अस्पताल लेकर गया. उन्होंने कहा कि "वह आदमी मुझे सदर (सरकारी) अस्पताल ले गया. मेरे थाने का मुंशी (क्लर्क) भी मेरे साथ था."

जब तक वे अस्पताल पहुंचे, तब तक पत्थर की चोट लगे हुए आधे घंटे से अधिक हो चुका था. उन्होंने बताया कि "मुझे इतना खून बह रहा था कि घाव की सिलाई करते समय भी मेडिकल स्टाफ को दो बार पट्टियां बदलनी पड़ीं. पट्टियां खून से लथपथ थीं." उन्होंने कहा कि वे अभी भी कमजोरी महसूस कर रहे हैं. "मुझे चलने या लंबे समय तक बोलने में मुश्किल हो रही है."

हिंसा में कम से कम दो अन्य पुलिस कर्मियों, पुलिस अधीक्षक अंशुमान कुमार और निरीक्षक शैलेश प्रसाद को चोटें आईं.

रांची में हिंसा उस दिन हुई जब कम से कम नौ राज्यों के विभिन्न शहरों में नूपुर शर्मा और नवीन कुमार जिंदल की टिप्पणियों का भारी विरोध हुआ. नवीन कुमार जिंदल पार्टी से निकाले जाने से पहले दिल्ली बीजेपी की मीडिया इकाई के प्रमुख थे.

शहर के पुलिस प्रमुख अंशुमान कुमार ने पुष्टि की कि गोली लगने से दो लोगों की मौत हुई है. मरने वालों में एक 22 साल का और दूसरा 16 साल का लड़का था.

यह भी पढ़ें -

रांची हिंसा : कैमरे में कैद, भीड़ के पथराव से बचने के लिए भागती हुई नजर आई पुलिस

पैगंबर टिप्पणी मामला : रांची में घायल हुए युवक ने कहा- छह गोलियां लगीं, चार निकाली गईं

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

रांची में हुई की हिंसा की जांच के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एसआईटी गठित की