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Apparel Industry ने रेसिप्रोकल टैरिफ पर सरकार के रुख का समर्थन किया, AEPC चेयरमैन ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र

Apparel एक्सपोर्टर अब अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम करने के लिए वैकल्पिक बाजारों की तलाश कर रहे हैं. वो चाहते हैं कि बाज़ार विविधीकरण (Market Diversification) की दिशा में सरकार को अपने प्रयासों को तेज़ करना होगा.

Apparel Industry ने रेसिप्रोकल टैरिफ पर सरकार के रुख का समर्थन किया, AEPC चेयरमैन ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र

अमेरिका द्वारा भारतीय एक्सपोर्ट प्रोडक्ट्स पर 50% रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की घोषणा भारत के कपड़ा और परिधान उद्योग (Apparel Export sector) से जुड़े एक्सपोर्टरों के लिए बड़ी चुनौती बन गया है. कपड़ा और परिधान एक्सपोर्ट प्रोडक्ट्स के लिए अमेरिका सबसे बड़े Export Destination में एक है, और टैरिफ अप्रत्याशित तरीके से बढ़ने से अमेरिकी बाजार में भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता पर बहुत बुरी असर पड़ने का अंदेशा है, जिससे निर्यातकों को नुकसान होना तय है.

इन चुनौतियों के बावजूद, Apparel Export Promotion Council (AEPC) के अध्यक्ष सुधीर सेखरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस संकट की घड़ी में सरकार को हर संभव सहयोग देना का आश्वासन दिया है. देश के सबसे बड़े Apparel एक्सपोर्टरों में शामिल सुधीर सेखरी ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में कहा,

"मैं Apparel Export Promotion Council और उसके सदस्यों की ओर से भारत सरकार के उस रुख के प्रति अटूट (unwavering/unequivocal) समर्थन व्यक्त करने के लिए लिख रहा हूं, जिसमें अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ के अनुचित और अनैतिक दबाव के आगे नहीं झुकने का निर्णय लिया गया है. परिषद के अध्यक्ष के रूप में, मैं भारतीय किसानों, डेयरी उद्योग और मछुआरों के हितों की रक्षा के लिए आपकी सरकार के दृढ़ संकल्प की सराहना करता हूं. अमेरिका द्वारा हाल ही में की गई शुल्क वृद्धि वास्तव में व्यापारिक निर्यातकों (merchandise exporters) के लिए एक बड़ी चुनौती है. हालांकि, हमारा दृढ़ विश्वास है कि भारत का सैद्धांतिक और संतुलित रुख अंततः दीर्घावधि (Long Term) में हमारे देश के आर्थिक हितों के लिए लाभकारी होगा".

AEPC अध्यक्ष ने सरकार को बताया है कि कपड़ा और परिधान एक्सपोर्ट उद्योग टैरिफ में वृद्धि के प्रभाव से जूझ रहा है, क्योंकि इसकी वजह से काफी ऑर्डर रद्द होने की संभावना है.

Apparel एक्सपोर्टर अब अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम करने के लिए वैकल्पिक बाजारों की तलाश कर रहे हैं. वो चाहते हैं कि बाज़ार विविधीकरण (Market Diversification) की दिशा में सरकार को अपने प्रयासों को तेज़ करना होगा. सऊदी अरब, मेक्सिको, चिली और रूस जैसे देशों के बाज़ार में नयी संभावनाओं को लेकर वो आशान्वित हैं. सेखरी के मुताबिक कपड़ों की खपत की बढ़ती मांग की वजह से यूरोपीय संघ एक अत्यंत महत्वपूर्ण बाज़ार है और वो चाहते हैं कि यूरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को तेज़ी से आगे बढ़ाया जाना चाहिए.

पिछले हफ्ते एनडीटीवी से एक्सक्लूसिव बातचीत में सुधीर Sekhri ने कहा था,

"भारत से अमेरिका करीब 5 बिलियन डॉलर (करीब 44,000 करोड़) का टेक्सटाइल/Apparel का एक्सपोर्ट होता है. 50 फ़ीसदी रिसिप्रोकल टैरिफ की वजह से अमेरिकी बाजार में भारतीय टेक्सटाइल प्रोडक्ट्स बहुत महंगे हो जाएंगे. स्थिति से निपटने के लिए भारत के कपड़ा व्यापारियों ने अपने अमेरिकी खरीदारों से बातचीत कर उन्हें आश्वासन दिया है कि वह अपने प्रोडक्ट की सप्लाई बहाल रखेंगे. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अंतर्राष्ट्रीय कपड़ा बाजार में भारत के प्रतिदिनती देश जैसे पाकिस्तान, बांग्लादेश, वियतनाम, इंडोनेशिया, तुर्की पर भारत के मुकाबले काफी कम रिसिप्रोकल टैरिफ लगाया है".

दरअसल, सितंबर से मार्च भारत से एक्सपोर्ट होने वाले कपड़ा व्यापार के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है. ऐसे में भारत के टेक्सटाइल एक्सपोर्टर्स के सामने सबसे बड़ी चुनौती अमेरिकी बाजार में अपनी हिस्सेदारी को बनाए रखने की है. अब टेक्सटाइल एक्सपोर्टरों ने भारत सरकार से मांग की है कि उन्हें इस चुनौती से निपटने के लिए एक राहत पैकेज सरकार को देना चाहिए.  फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन का आकलन है कि 27 अगस्त से अगर भारतीय एक्सपोर्ट प्रोडक्ट्स पर 50% रिसिप्रोकल टैरिफ लगाया जाता है तो इससे करीब भारत से अमेरिका एक्सपोर्ट होने वाले 55% व्यापार पर सीधा असर पड़ेगा, यानी, करीब 48 बिलियन डॉलर (4.17 Lakh crores) का Export व्यापार सीधे तौर पर प्रभावित होगा.

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