
Lawyer to Judge Full Process: अगर आप लॉ स्टूडेंट हैं या वकालत कर रहे हैं, तो जज बनने का सपना आपने जरूर देखा होगा. जज बनना (How to Become Judge in Hindi) एक बड़ी जिम्मेदारी है. अदालत में फैसले सुनाना, न्याय देना जज का काम होता है. यह एक सम्मानित पद होता है. लेकिन वकील से जज बनने के लिए सिर्फ कोर्ट में केस लड़ने से काम नहीं चलता है, इसके लिए आपको एक खास योग्यताएं पूरी करनी होती है, जरूरी परीक्षाएं पास करनी पड़ती है और एक प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. इस आर्टिकल में जानिए वकील से जज कैसे बनते हैं, कौन सी परीक्षा पास करनी होती है...
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जज बनने की योग्यता क्या है - What are the qualifications to become a Judge?
1. भारतीय नागरिक होना जरूरी है.
2. LLB डिग्री किसी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से होनी चाहिए.
3. बार काउंसिल ऑफ इंडिया में वकील के रूप में रजिस्टर्ड होना.
4. अपर ज्यूडिशियरी (Higher Judiciary) के लिए आमतौर पर 7 साल या उससे ज्यादा का वकालत का अनुभव.
5. एज लिमिट राज्य के हिसाब से अलग हो सकती है. जूनियर लेवल के लिए 21–35 साल, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के लिए ज्यादा उम्र मान्य है.
वकील से जज बनने के कितने तरीके हैं - How many ways are there to become a judge from a lawyer
1. लोअर ज्यूडिशियरी एग्जाम (सिविल जज या ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट)
इसके लिए LLB के बाद सीधे आवेदन किया जा सकता है. राज्य की ज्यूडिशियल सर्विस एग्जाम (Judicial Services Examination) पास करनी होती है. इसे ही PCS-J एग्जाम कहा जाता है. यह एग्जाम लोअर ज्यूडिशियरी सर्विसेज के लिए होती है, जिसमें सिविल जज (जूनियर डिविजन) की पोस्ट पर भर्ती होती है.
इसमें लिखित परीक्षा और इंटरव्यू होता है. इसके लिए आमतौर पर LLB डिग्री के साथ वकालत का अनुभव जरूरी नहीं होता. 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने सिविल जज (जूनियर डिवीजन) की पोस्ट के लिए कम से कम 3 साल की प्रैक्टिस जरूरी कर दी. अगर किसी ने जज के साथ लॉ क्लर्क के तौर पर भी काम किया है, तो वह एक्सपीरिएंस भी 3 साल की प्रैक्टिस में ही गिना जाएगा.
2. हायर या अपर ज्यूडिशियरी एग्जाम (डिस्ट्रिक जज एंट्री)
इस रूट में वकील को कम से कम 7 साल का एक्सपीरिएंस होना जरूरी है. एग्जाम को हायर ज्यूडिशियल सर्विस एग्जाम (HJS) कहा जाता है. सेलेक्शन में लिखित परीक्षा, इंटरव्यू और एक्सीपीरिएंस शामिल होता है.
जज बनने के लिए कौन सी परीक्षा होती है
जज बनने के लिए ज्यूडिशियल सर्विस एग्जाम होता है. ज्यादातर राज्यों में यह परीक्षा स्टेट पब्लिक सर्विस कमीशन या हाई कोर्ट कराता है. परीक्षा में तीन फेज में होते हैं. प्रीलिम्स (ऑब्जेक्टिव सवाल), जिसमें जनरल नॉलेज, संविधान, कानून की बुनियादी बातें होती हैं. मेंस (लिखित पेपर), जिसमें सब्जेक्टिव सवाल, लॉ के सेक्शन, केस स्टडी होती है. आखिरी में इंटरव्यू होता है, जिसमें पर्सनालिटी, लॉ की समझ और रीजिनिंग एबिलिटी देखी जाती है.
वकील से जज बनने की प्रक्रिया क्या है
- LLB पूरी करें और बार काउंसिल में रजिस्टर कराएं.
- कोर्ट में वकालत शुरू करें और 3 साल का एक्सपीरिएंस हासिल करें.
- ज्यूडिशियल सर्विस एग्जाम के लिए अप्लाई करें.
- एग्जाम पास करने के बाद ट्रेनिंग होती है.
- ट्रेनिंग पूरी होते ही आपको जॉइनिंग लेटर मिल जाता है और आप जज के पद पर कार्यभार संभालते हैं.
प्रमोशन और करियर ग्रोथ कैसे होता है
सिविल जज या ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट से प्रमोशन पाकर सीनियर जज, फिर डिस्ट्रिक जज बन सकते हैं. डिस्ट्रिक से आगे प्रमोशन लेकर हाईकोर्ट जज और फिर सुप्रीम कोर्ट का जज बन सकते हैं.
कुछ मामलों में सीधे वकील से हाईकोर्ट जज की नियुक्ति भी होती है, लेकिन इसके लिए अनुभव और लीगल कॉन्ट्रीब्यूशन होना चाहिए.
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