पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष के साथ रामनाथ कोविंद (फाइल फोटो)
राष्ट्रपति चुनाव की गुरुवार को मतगणना होने जा रही है. एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद की जीत तय मानी जा रही है. रामनाथ कोविंद का यूपी में कानपुर के परौंख गांव में 1 अक्टूबर 1945 को हुआ. वकालत की पढ़ाई करने के बाद हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में 16 साल वकालत करने के बाद राजनीति में पदार्पण किया. इस पृष्ठभूमि में जानें उनसे जुड़ी पांच बातें :
सिविल सर्विसेज
स्नातक डिग्री हासिल करने के बाद सिविल सर्विसेस परीक्षा दी. पहले और दूसरे प्रयास में नाकाम रहने के बाद तीसरी बार में उन्होंने कामयाबी हासिल की. कोविंद ने आईएएस जॉब इसलिए ठुकरा दिया क्योंकि मुख्य सेवा के बजाय उनका एलाइड सेवा में चयन हुआ था.
मोरारजी से नाता
वर्ष 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने के बादवे तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई के निजी सचिव भी रहे. बाद में वे बीजेपी से जुड़े. पार्टी की टिकट से वे दो बार चुनाव भी लड़ चुके हैं लेकिन दुर्भाग्य से दोनों ही बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
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बीजेपी से जुड़ाव
कोविंद वर्ष 1991 में बीजेपी में शामिल हुए. पार्टी के प्रवक्ता का पद भी उन्होंने संभाला है. कोविंद बीजेपी के दलित मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद भी संभाल चुके हैं. कुष्ठ रोगियों के लिए काम करने वाली संस्था दिव्य प्रेम सेवा मिशन के कोविंद संरक्षक हैं.
राज्यसभा से नाता
उच्च सदन राज्यसभा में 12 वर्ष तक कोविंद बीजेपी का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. वर्ष 1994 में पहली बार राज्यसभा के लिए चुने गए थे. उनके परिवार में एक पुत्र और एक पुत्री हैं.
राज्यपाल
2015 में बिहार के राज्यपाल चुने गए. इस दौरान राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ बेहतर तालमेल रहा. यही वजह रही कि जब एनडीए ने राष्ट्रपति पद के लिए कोविंद की उम्मीदवारी की घोषणा की तो नीतीश कुमार ने बेझिझक उनको समर्थन देने की घोषणा की.
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मोरारजी से नाता
वर्ष 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने के बादवे तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई के निजी सचिव भी रहे. बाद में वे बीजेपी से जुड़े. पार्टी की टिकट से वे दो बार चुनाव भी लड़ चुके हैं लेकिन दुर्भाग्य से दोनों ही बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
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कोविंद वर्ष 1991 में बीजेपी में शामिल हुए. पार्टी के प्रवक्ता का पद भी उन्होंने संभाला है. कोविंद बीजेपी के दलित मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद भी संभाल चुके हैं. कुष्ठ रोगियों के लिए काम करने वाली संस्था दिव्य प्रेम सेवा मिशन के कोविंद संरक्षक हैं.
राज्यसभा से नाता
उच्च सदन राज्यसभा में 12 वर्ष तक कोविंद बीजेपी का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. वर्ष 1994 में पहली बार राज्यसभा के लिए चुने गए थे. उनके परिवार में एक पुत्र और एक पुत्री हैं.
राज्यपाल
2015 में बिहार के राज्यपाल चुने गए. इस दौरान राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ बेहतर तालमेल रहा. यही वजह रही कि जब एनडीए ने राष्ट्रपति पद के लिए कोविंद की उम्मीदवारी की घोषणा की तो नीतीश कुमार ने बेझिझक उनको समर्थन देने की घोषणा की.
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