राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा (Rajasthan Health Minister Raghu Sharma)ने कहा है कि कोरोना महामारी के इस दौर में केंद्र सरकार को राज्यों की जरूरत के अनुसार दवाओं, इंजेक्शनों और वैक्सीन का वितरण करना चाहिए. NDTV से बात करते हुए उन्होंने कहा कि जिन राज्यों को ज्यादा जरूरत है, उसे जरूरत के अनुसार दवाएं, इंजेक्शन और वैक्सीन दी जानी चाहिए.लेकिन ऑक्सीजन और रेमडेसिविर (Oxygen and Remeddivir) के बाद ब्लैक फंगस की दवा को लेकर विपक्षी राज्यों के साथ भेदभाव किया जा रहा है.एक अन्य सवाल के जवाब में शर्मा ने बताया कि राजस्थान में इस समय ब्लैक फंगस (Black Fungus) के करीब 700 केस हैं.उन्होंने बताया कि राजस्थान सरकार वैक्सीन पाने के लिए 3000 करोड़ रुपये खर्च कर रही है. पहले 12 लाख 67 हजार टीके दिए और अभी सिर्फ 5 लाख डोज बढ़ाई है, लेकिन हमें राज्यों का पूर्ण टीकाकरण के लिए 6.5 करोड़ डोज चाहिए, वेस्टेज को मिलाकर 7 करोड़ डोज चाहिए.उन्होंने कहा कि राजस्थान को एक करोड़ 61 लाख वैक्सीन मिली हैं, 32 लाख हमने दूसरी डोज में लगाईं. हमें चार करोड़ 18 लाख वैक्सीन चाहिए. इस मामले में भारत सरकार राजनीति कर रही है. आप देश के सामने डेटा दीजिए, अपने आप भ्रांति दूर हो जाएगी.
उन्होंने कहा कि 18 से 44 वर्ष आयु वर्ग के लिए वैक्सीन है नहीं, तो सबको वैक्सीन कैसे लग पाएगी? हिन्दुस्तान के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी राज्य को ग्लोबल टेंडर निकालना पड़े. एक राज्य के मुख्यमंत्री ने सही कहा है कि अगर पाकिस्तान से युद्ध हो जाए तो क्या राज्य अलग-अलग लड़ेंगे. इसलिए राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. लिहाजा ग्लोबल टेंडर की प्रक्रिया केंद्र सरकार को करनी चाहिए. केंद्र सरकार को वैक्सीन के मामले में क्या करना चाहिए, इस सवाल पर उन्होंने कहा, देश की दूसरी कंपनियों को भी टीके के लिए लाइसेंस देना चाहिए. राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि गुजरात जैसे कई राज्यों को ऑक्सीजन, रेमडेसिविर का राजस्थान और अन्य विपक्ष शासित राज्यों की तुलना में कई गुना ज्यादा था. ब्लैक फंगस के मामले में जिस राज्य में ज्यादा मामले हैं, वहां ज्यादा दवाएं देनी चाहिए. जैसे ऑक्सीजन और दवाओं पर भेदभाव था, वहीं अब ब्लैक फंगस के मामले में देखने को मिल रहा है.
राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने लॉकडाउन हटाने या ढील के सवाल पर कहा कि हमने पिछली बार की तरह लॉकडाउन नहीं लगाया था. निर्माण कार्य और इंडस्ट्री पहले ही चालू थीं. एक्टिव केस दो लाख के पार हो गए था. रोज 150-200 मौतें हो रही थीं. लिहाजा पहले वीकेंड कर्फ्यू और पखवाड़ा कर्फ्यू लगा था. उसके बाद 15 दिन का लॉकडाउन लगा था जिसे फिर बढ़ाया गया. अब राजस्थान में 90 हजार से कम एक्टिव केस रह गए हैं. एक जून के बाद राजस्थान में कुछ-कुछ और छूट देने पर विचार-विमर्श हो रहा है. अभी 8 जून तक लॉकडाउन लागू है. राजस्थान के गांवों में कोरोना संक्रमितों की मौतों के आरोपों पर शर्मा ने कहा कि हमने एक भी मौत का आंकड़ा नहीं छिपाया है. हमने शहरों और गांवों का एक-एक आंकड़ा दिया है. कोविड प्रोटोकाल के कारण सभी शवों का अंतिम संस्कार हो रहा है, इसलिए लोगों में भ्रम है कि सरकारी आंकड़ा छिपाया जा रहा है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं