राजस्थान में एक दलित लड़के को मटके से पानी पीने पर इतना मारा गया कि उसकी मौत तक हो गई. अब ये मामला सत्तारूढ़ कांग्रेस के लिए राजनीतिक संकट में बदलता हुए दिख रहा है. एक तरफ जहां बीजेपी आग में घी डालने का काम कर रही है. वहीं कांग्रेस को पार्टी के अंदर भी इस मसले पर विरोध झेलना पड़ रहा है. इसी का नतीजा है कि कांग्रेस विधायक पनाचंद मेघवाल ने नौ वर्षीय छात्र की मौत से गहरा दुख जताते हुए मुख्यमंत्री को अपना इस्तीफा भेज दिया है. साथ ही, कांग्रेस नेता सचिन पायलट, आज लड़के के परिवार से मिलने के लिए जालोर जिले का दौरा करेंगे.
उच्च जातियों के लोगों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले बर्तन से पानी पीने के लिए शिक्षक द्वारा कथित तौर पर पिटाई करने के बाद नौ वर्षीय छात्र की आंख और कान पर चोट लग गई थी. एक निजी स्कूल में 20 जुलाई की घटना के बाद, उसे गुजरात के अहमदाबाद के एक अस्पताल में ले जाया गया. वहां उसका पिछले सप्ताह निधन हो गया. पुलिस ने शिक्षक को गिरफ्तार कर लिया है और उस पर हत्या और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के प्रावधानों के तहत आरोप लगाया है.
इस मामले में दर्ज प्राथमिकी में कहा गया है कि छात्र "भोला था और उसे नहीं पता था कि उच्च जाति के शिक्षक के लिए बर्तन अलग रखा गया था". प्राथमिकी में कहा गया है, "शिक्षक ने लड़के से कहा, 'तुम निचली जाति से हो. तुमने मेरे घड़े का पानी पीने की हिम्मत कैसे की!' फिर उसने उसे पीटा."मीडिया से बात करते हुए, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि उन्होंने अधिकारियों को मामले की त्वरित जांच सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है. उन्होंने 5 लाख रुपये की सहायता की घोषणा करते हुए कहा था, ''पीड़ित परिवार को जल्द से जल्द न्याय सुनिश्चित किया जाएगा.''
बीजेपी ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि बच्चे की मौत शर्मनाक है. साथ ही ट्वीट कर पूछा था, 'राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा राजस्थान में दलितों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए गहलोत को कब सुझाव देंगे. कांग्रेस विधायक मेघवाल ने एक ताजा झटका देते हुए राज्य में जातिगत अपराधों को झंडी दिखाते हुए पद छोड़ने का ऐलान किया है. विधायक ने अपने त्याग पत्र में कहा है कि ऐसे मामलों की जांच के नाम पर केवल फाइलें ही स्थानांतरित की जाती हैं और कहा कि विधानसभा में मामले उठाने के बाद भी पुलिस ने तेजी से कार्रवाई नहीं की. उन्होंने कहा, "जब हम अपने समाज के अधिकारों की रक्षा और न्याय सुनिश्चित नहीं कर सकते हैं, तो हमें इस पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है."
ये भी पढ़ें : "सरकार संघीय मूल्यों को कमजोर कर रही है"; बीजेपी पर निशाना साधते हुए बोले तेलंगाना सीएम KCR
पायलट की यात्रा से यकीनन गहलोत की चिंताए जरूर बढ़ेगी. 2020 के विद्रोह के बाद, अशोक गहलोत सरकार संतुलन सिर्फ पार्टी आलाकमान के हस्तक्षेप की वजह से बना हुआ है, हालाँकि, गहलोत और पायलट के नेतृत्व वाले शिविरों के बीच टकराव अभी भी जारी है. इस कड़ी में, मुख्यमंत्री पायलट के जालोर दौरे को उत्सुकता से देख रहे होंगे.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं