'मोदी सरनेम' मामले में सूरत कोर्ट के फैसले से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की मुश्किलें बढ़ गई हैं. दरअसल, सूरत डिस्ट्रिक्ट ने राहुल गांधी को आपराधिक मानहानि मामले में दो साल कैद की सजा सुनाई. हालांकि, बाद में राहुल गांधी को कोर्ट से जमानत मिल गई. यह मामला राहुल गांधी द्वारा दिए गए ‘मोदी उपनाम' संबंधी टिप्पणी से जुड़ा है. राहुल गांधी को 30 दिनों के लिए जमानत देते हुए और निर्णय के खिलाफ अपील उपरी अदालतों में करने की अनुमति दी गई. यह मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 (मानहानि) के तहत दर्ज किया गया था. अब राहुल गांधी को दोषसिद्धि को निलंबित कराने के लिए बड़ी अदालत जाना होगा. इसके लिए उनके पास एक महीने का समय है.
Why Congress MP Rahul Gandhi faces 'immediate disqualification' as per landmark Supreme Court judgement of 10 July 2013:
— Kanchan Gupta 🇮🇳 (@KanchanGupta) March 23, 2023
Trial court has held Rahul Gandhi guilty of criminal defamation; sentenced him to 2 years jail. SC has said this should lead to immediate disqualification.
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बीजेपी सूत्रों के अनुसार, ट्रायल कोर्ट ने राहुल गांधी को आपराधिक मानहानि का दोषी ठहराया और 2 साल की जेल की सजा सुनाई है. सुप्रीम कोर्ट के 10 जुलाई 2013 के ऐतिहासिक फैसले के अनुसार, ऐसे में तत्काल अयोग्यता होनी चाहिए. दरअसल, 10 जुलाई 2013 के लिली थॉमस बनाम भारत संघ के फैसले में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था, 'कोई भी सांसद, विधायक या एमएलसी जिसे अपराध का दोषी ठहराया जाता है और न्यूनतम 2 साल की जेल दी जाती है, तत्काल प्रभाव से सदन की सदस्यता खो देता है.'
सुप्रीम कोर्ट 10 जुलाई 2013 के इस फैसले ने पिछली स्थिति को पलट दिया जिसके तहत दोषी सांसदों, विधायकों, एमएलसी को अपनी सीट बरकरार रखने की अनुमति दी गई थी जब तक कि देश की निचले, उच्च और सर्वोच्च न्यायालय में सभी न्यायिक उपायों खत्म नहीं हो जाते. सुप्रीम कोर्ट के 10 जुलाई 2013 के फैसले ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8 (4) को रद्द कर दिया था, जिसने निर्वाचित प्रतिनिधियों को उनकी सजा को 'असंवैधानिक' बताते हुए इस संबंध में अपील के लिए 3 महीने की इजाजत दी थी. सपा विधायक अब्दुल्ला आजम खान को एक निचली अदालत द्वारा आपराधिक मामले में 2 साल की जेल की सजा सुनाए जाने के तुरंत बाद यूपी विधानसभा से अयोग्य घोषित किया जाना इसका आदर्श उदाहरण माना जा सकता है. सीधे शब्दों में कहें तो लोकतंत्र में कोई भी कानून से ऊपर नहीं है. कानून के लिए सभी समान है, ऐसे में यह बात राहुल गांधी पर भी समान रूप से लागू होती है.
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