
भाजपा विधायक हरीश खुराना द्वारा डॉक्टर से की गई मारपीट और बदतमीजी मामले को लेकर आम आदमी पार्टी के विधायकों ने शुक्रवार को आचार्य भिक्षु हॉस्पिटल की मेडिकल सुपरिटेंडेंट ऑफिस के बाहर धरना प्रदर्शन किया. ‘‘आप'' दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज के नेतृत्व में अन्य विधायक अस्पताल की एमएस से मिलने पहुंचे और अभी तक एफआईआर नहीं होने का कारण पूछा. सौरभ भारद्वाज ने बताया कि एमएस कह रही हैं कि उन्होंने मामले को ‘हल' कर दिया है. इसलिए अब वो पुलिस में एफआईआर नहीं दर्ज कराएंगी. डॉक्टर को शिकायत वापस नहीं लेने पर करियर खराब करने की धमकी दी जा रही है. आरजी कर अस्पताल में भी प्रशासन ने न्याय नहीं होने दिया था और अब आचार्य भिक्षु अस्पताल की एमएस भी न्याय नहीं होने दे रहीं हैं. इस दौरान संजीव झा, विशेष रवि कुलदीप कुमार, जरनैल सिंह समेत अन्य विधायक मौजूद रहे.
आचार्य भिक्षु अस्पताल के बाहर प्रदर्शन के दौरान मीडिया बातचीत में सौरभ भारद्वाज ने कहा कि हमें जानकारी मिली कि जिस इंटर्न डॉक्टर के साथ गुरुवार को 11ः15 बजे भाजपा विधायक हरीश खुराना और उनके समर्थकों ने मारपीट और गाली-गलौज की, उस डॉक्टर और उसके परिवार पर राजनीतिक दबाव बनाया जा रहा है. उनसे कहा जा रहा है कि शिकायत वापस लो, वरना तुम्हारा करियर और जिंदगी बर्बाद कर देंगे. इस घटना को 24 घंटे से ज्यादा बीत चुके हैं, लेकिन एमएस उमा जी ने 42 डॉक्टरों की लिखित शिकायत, जिसमें एफआईआर दर्ज करने की मांग है, पुलिस को नहीं दी.
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि आचार्य भिक्षु अस्पताल आते समय रास्ते में हमें थाना प्रभारी मिले, जिन्हें हम एमएस के कमरे में लाए. थाना प्रभारी ने साफ कहा कि एमएस ने उन्हें कोई शिकायत नहीं दी. हमने एमएस उमा जी से पूछा कि उन्होंने शिकायत पुलिस को क्यों नहीं दी? पहले तो उन्होंने कहा कि उनके पास कोई शिकायत आई ही नहीं. लेकिन जब हमारी डॉक्टर सेल की अध्यक्ष डॉ. निम्मी रस्तोगी ने चार पेज की शिकायत दिखाई, जिसमें 42 डॉक्टरों के हस्ताक्षर थे और जो सोशल मीडिया पर भी वायरल है, तो एमएस नाराज हो गईं.
उन्होंने कहा कि यह मेरा काम है, तुम कौन होते हो पूछने वाले? मैं तुम्हारी जवाबदेही नहीं हूं. हमने कहा कि हम जनता हैं, हमारे साथ निर्वाचित प्रतिनिधि हैं.. अगर एमएस डॉक्टरों को डराएंगी, धमकाएंगी, तो हम सवाल पूछेंगे. फिर एमएस ने कहा कि उन्होंने यह मामला हल कर दिया है और पुलिस को शिकायत नहीं देंगी.
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जब एसीपी आए, तो उन्होंने भी हमसे पूछा कि अगर मामला हल हो गया है, तो तुम्हारा इसमें क्या काम है? हमने एसीपी से साफ पूछा कि कोई ऐसा कानून या नियम बताएं, जिसके तहत एमएस को यह अधिकार हो कि वह एक आपराधिक मामले को हल कर दें. एक शिकायतकर्ता है, एक आरोपी है और यह एक आपराधिक मामला है. एक सरकारी डॉक्टर के साथ गाली-गलौज और मारपीट हुई, जो गैर-जमानती अपराध है. एमएस कैसे इस मामले में समझौता कर सकती हैं? उनके पास ऐसा कोई अधिकार नहीं है. इस सवाल पर एमएस उमा जी उठकर चली गईं.
सौरभ भारद्वाज ने बताया कि इस पूरी घटना की रिकॉर्डिंग हमारे पास है. हमें पहले से अंदाजा था कि हमें किस तरह का व्यवहार मिलेगा, इसलिए हमने सब कुछ रिकॉर्ड कर लिया. हमें अनुभव है कि ऐसी परिस्थितियों में क्या होता है. हमारे पास सारे तथ्य हैं कि एसएचओ, एसीपी और एमएस सभी ने क्या जवाब दिया?
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि आज दिल्ली में कोलकाता के आरजी कर अस्पताल जैसी घटना दोहराई जाने की कोशिश की जा रही है. वहां भी एक इंटर्न डॉक्टर के साथ हादसा हुआ था और वरिष्ठ अधिकारियों, एमएस और एमडी ने सरकार के साथ मिलकर मामले को दबाने की कोशिश की. आरोपियों को बचाया गया, जिससे जनता का गुस्सा और बढ़ गया. यहां भी वही हो रहा है. आरोपी भाजपा के मोती नगर विधायक हरीश खुराना हैं और उन्हें बचाने की कोशिश की जा रही है. 42 डॉक्टरों ने लिखित शिकायत दी, फिर भी एफआईआर दर्ज नहीं हुई. एमएस का कहना है कि उन्होंने शिकायत ऊपर भेज दी है और ऊपर के अधिकारी फैसला करेंगे.
उधर, इस बाबत डॉ. निम्मी रस्तोगी का कहना है कि डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा का मुद्दा बहुत पुराना है. भाजपा ने अपने मेनिफेस्टो में डॉक्टर्स के खिलाफ हिंसा मामले में प्रणालीगत बदलाव करने और एक्ट लाने का वादा किया था. लेकिन अब जब मौका आया है तो भाजपा का ही तंत्र डॉक्टर्स के साथ धोखा कर रहा है और मामले को दबा रहा है. यह छोटी सी चिंगारी बहुत बड़ी घटना बन सकती है. आम आदमी पार्टी हमेशा डॉक्टर्स के साथ है. हम इलीट कल्चर के खिलाफ हैं. विधायक एक आम आदमी से ऊपर नहीं है. विधायक एक सम्मानित डॉक्टर पर दबाव बनाता है कि मेरा इलाज पहले करो और उसके बाद विधायक डॉक्टर के साथ हाथापाई और अपशब्द करता है तो यह किसी को बर्दाश्त नहीं है.
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