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रेडक्लिफ लाइन की कहानी, 1947 में बंटवारे के बाद आज ही के दिन खींची गई थी ये 'खूनी' रेखा

Partition of India: भारत का विभाजन एक जटिल और भावनात्मक रूप से प्रेरित घटना थी, और मुख्य रूप से हिंदू और मुस्लिम क्षेत्रों के बीच सीमा रेखा खींचने का कार्य बहुत बड़ा था. इस कठिन कार्य को पूरा करने के लिए रैडक्लिफ के पास केवल छह सप्ताह थे.

रेडक्लिफ लाइन की कहानी, 1947 में बंटवारे के बाद आज ही के दिन खींची गई थी ये 'खूनी' रेखा
सर सिरिल रैडक्लिफ सिर्फ एक बार आए भारत
नई दिल्‍ली:

भारत और पाकिस्तान को विभाजित करने के लिए खींची गई लाइन है रेडक्लिफ. 1947 में आजादी के बाद 17 अगस्त को रेडक्लिफ लाइन खींची गई थी, जिसके बाद भारत से कटकर एक नए देश पाकिस्‍तान का जन्‍म हुआ. भारत को दो भागों में बांटने का काम  ब्रिटिश वकील सर सिरिल रैडक्लिफ ने किया था. इन्‍हीं के नाम पर इस बंटवारे की रेखा का नाम रखा गया था. दरअसल, भारत का विभाजन एक जटिल और भावनात्मक रूप से प्रेरित घटना थी, और मुख्य रूप से हिंदू और मुस्लिम क्षेत्रों के बीच सीमा रेखा खींचने का कार्य बहुत बड़ा था. ये काम एक ऐसे इंसान को सौंपा जाना चाहिए था, जो भारत से भौगोलिक और भावनात्‍मक रूप से जुड़ा हो. लेकिन ब्रिटिश हुकूमत ने ये काम एक ऐसे शख्‍स को दिया, जो कभी भारत आया ही नहीं था. 

पंजाब-बंगाल को मिले सबसे गहरे जख्‍म

रेडक्लिफ रेखा ने सबसे ज्‍यादा गहरे जख्‍म पंजाब और बंगाल राज्‍यों को दिये. इन दोनों प्रांतों का बड़ा भाग विभाजन में बंट गया. पंजाब को भारतीय पंजाब और पश्चिमी पंजाब (पाकिस्तान का हिस्सा) में विभाजित किया गया था, जबकि बंगाल को पश्चिम बंगाल (भारत) और पूर्वी बंगाल (बाद में पूर्वी पाकिस्तान, अब बांग्लादेश) में विभाजित किया गया था. ऐसे  में लाखों हिंदू बांग्‍लादेश और पाकिस्‍तान में रह गए, क्‍योंकि उनका सबकुछ वहीं था. यहां रहने वाले लोग आज भी अत्‍याचार का शिकार हो रहे हैं.

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सर सिरिल रैडक्लिफ सिर्फ एक बार आए भारत

ब्रिटिश, भारत के बंटवारे को लेकर कितने गंभीर थे, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि  सर सिरिल रैडक्लिफ पहले कभी भारत आए ही नहीं थे. ब्रिटिश वकील सर सिरिल रैडक्लिफ ने विभाजन के लिए सीमा आयोग का नेतृत्व किया था. वह 1947 में पहली बार भारत आए थे. उन्‍हें यहां की भौगोलिक और भावनात्‍मक स्थिति का कोई अंदाजा ही नहीं था. फिर ब्रिटिश हुकूमत की ओर से भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा खींचने के लिए कोई निश्चित नियम तय नहीं किए गए थे. रैडक्लिफ को सिख, हिंदू और मुस्लिम आबादी को इस तरह से विभाजित करना था कि अधिकांश हिंदू भारत में और मुस्लिम पाकिस्तान में रहें. लेकिन रैडक्लिफ का झुकाव मुसलमानों की ओर ज्‍यादा था. इसलिए उन्‍होंने लाहौर को पाकिस्‍तान को दिया जाना ज्‍यादा बेहतर समझा.  

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रैडक्लिफ के पास थे सिर्फ 6 सप्ताह

भारत का विभाजन एक जटिल और भावनात्मक रूप से प्रेरित घटना थी, और मुख्य रूप से हिंदू और मुस्लिम क्षेत्रों के बीच सीमा रेखा खींचने का कार्य बहुत बड़ा था. इस कठिन कार्य को पूरा करने के लिए रैडक्लिफ के पास केवल छह सप्ताह थे. परिणामस्वरूप, जमीनी हकीकत या क्षेत्र की जनसांख्यिकीय जटिलताओं पर विचार किए बिना, जल्दबाजी में रेखा खींच दी गई. 17 अगस्त 1947 आजादी के 2 दिन गुजरने के बाद भी करोड़ों लोग असमंजस में थे कि वो भारत में हैं या पाकिस्तान में.  17 अगस्त को विभाजन आयोग के अध्यक्ष सर सिरिल रेडक्लिफ ने विभाजन रेखा का ऐलान किया. इसके बाद ही दंगे शुरू हो गए और लाखों लोग अपने घरों को छोड़कर जाने को मजबूर हो गए. इस दौरान जो कत्‍लेआम हुआ, वो भारत-पाकिस्‍तान को ऐसे जख्‍म दे गया, जो शायद ही कभी भर पाएं. 

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