
'आई लव मोहम्मद' लिखे पोस्टरों को लेकर कानपुर से उठी चिंगारी अब बरेली तक पहुंच गई है. बीती रात शहदाना दरगाह के सालाना उर्स के दौरान कुछ लोगों ने ये पोस्टर लेकर जुलूस निकाला. इसके बाद दरगाह प्रबंधन ने युवाओं से अपील की कि वे इस तरह के पोस्टर का इस्तेमाल सड़क पर प्रदर्शन के लिए न करें. दरगाह प्रबंधन का कहना है कि अगर आपके दिल में नबी से मोहब्बत है, तो आप उसे अपने दिल में और अपने घर में बनाकर रखें, सड़कों पर जुलूस निकालकर अमन-चैन भंग करें. दरगाह का कहना है कि अगर ये पोस्टर सड़क पर गिर गए और किसी के पैरों के नीचे आ गए तो यह इस्लाम की तौहीन होगी.
दरगाह ने शांति और इस्लाम के सम्मान को प्राथमिकता देते हुए युवाओं से गुजारिश की गई है कि वे इन पोस्टरों का इस्तेमाल सड़कों पर प्रदर्शन के लिए न करें. यह अपील इसलिए की गई है ताकि किसी भी तरह से इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद साहब की तौहीन न हो.
पैरों तले पोस्टर आ गए तो तौहीन होगी
दरगाह शरीफ के प्रबंधन ने स्पष्ट किया है कि यदि ये पोस्टर गाड़ियों पर, घरों पर या जुलूस में इस्तेमाल किए जाते हैं और फटकर जमीन पर गिरते हैं, तो उनके पैरों तले आने का खतरा रहता है. इस कृत्य को इस्लाम की बेअदबी माना गया है.

उत्तर प्रदेश के बरेली में 'आई लव मोहम्मद' लिखे पोस्टर के साथ एक जुलूस निकाला गया.
शहदाना वाली दरगाह के मुतवल्ली अब्दुल वाजिद खान ने युवाओं को संदेश देते हुए कहा, "हम युवाओं से यही संदेश देना चाहेंगे कि शांति व्यवस्था बनाए रखिए. ऐसा कोई काम न करें जिससे शांति व्यवस्था भंग हो. आपको नबी से मोहब्बत है, तो उसको अपने दिल में रखिए, अपने घर पर रखिए."
उन्होंने आगे कहा, "बीच रोड पर आकर बैनर लगाकर, पोस्टर लगाकर... बेअदबी वाली बात आती है. कोई पोस्टर या बैनर जब फटता है, तो जमीन पर आता है. जमीन पर आने के बाद वह पांव के नीचे भी आ सकता है. ऐसी चीज न करें जो हमारे लिए नुकसान पहुंचाए."

शहदाना वाली दरगाह के मुतवल्ली अब्दुल वाजिद खान ने लोगों से अपील की है कि वे नबी के प्रति मोहब्बत को अपने दिल में रखें.
अमन-चैन और भाईचारे की मिसाल
दरगाह प्रबंधन ने 'आई लव मोहम्मद' के इजहार के तरीके पर सवाल उठाते हुए युवाओं को नसीहत दी कि अगर वे सच में अपने नबी से मोहब्बत करते हैं, तो उस मोहब्बत को अपने दिल में और अपने घर में बनाकर रखें, न कि सड़कों पर जुलूस निकालकर अमन-चैन भंग करें. अब्दुल वाजिद खान ने दरगाह के इतिहास का हवाला देते हुए कहा कि बरेली में हमेशा से भाईचारे की मिसाल कायम होती रही है. शहदाना दरगाह के उर्स में हिंदू, मुसलमान, सिख, ईसाई सभी धर्मों के लोग शामिल होते हैं. उन्होंने सभी से अपील की कि कोई भी ऐसा काम न करें जिससे कानून व्यवस्था बिगड़े या शांति व्यवस्था में कोई बाधा उत्पन्न हो.दरगाह प्रबंधन की इस अपील को धार्मिक आस्था और सामाजिक सद्भाव बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के तौर पर देखा जा रहा है.
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