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ओम बिरला के भाषण के मुरीद हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आपातकाल की तानाशाही से तुलना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर लिखा कि मुझे इस बात की खुशी है कि माननीय अध्यक्ष ने आपातकाल की कड़ी निंदा की,उस दौरान हुई ज्यादतियों पर प्रकाश डाला और जिस तरह से लोकतंत्र का गला घोंटा गया,उसका भी जिक्र किया.

ओम बिरला के भाषण के मुरीद हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आपातकाल की तानाशाही से तुलना
नई दिल्ली:

राजस्थान के कोटा से बीजेपी सांसद ओम बिरला लोकसभा अध्यक्ष चुने गए हैं.इस पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने उन्हें बधाई दी.धन्यवाद ज्ञापन में बिरला ने 25 जून 1975 को लगे आपातकाल को याद किया. उन्होंने इस बहाने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का नाम लेकर उनपर हमला किया. उन्होंने कहा कि भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचला गया और अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंटा गया.इस दौरान सदन में आपातकाल की पीड़ितों की याद में दो मिनट का मौन रखा गया. ओम बिरला के इस भाषण की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सराहना की है. उन्होंने कहा कि आपातकाल 50 साल पहले लगाया गया था, लेकिन यह आज के युवाओं के लिए याद रखना जरूरी है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्या कहा है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ट्वीट में लिखा, ''मुझे इस बात की खुशी है कि माननीय अध्यक्ष ने आपातकाल की कड़ी निंदा की,उस दौरान हुई ज्यादतियों पर प्रकाश डाला और जिस तरह से लोकतंत्र का गला घोंटा गया,उसका भी जिक्र किया.उन दिनों के पीड़ित लोगों के सम्मान में मौन रखना भी एक अद्भुत भाव था.''

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पीएम मोदी ने लिखा,''आपातकाल 50 साल पहले लगाया गया था, लेकिन आज के युवाओं के लिए इसके बारे में जानना जरूरी है, क्योंकि यह इस बात का एक सटीक उदाहरण है कि जब संविधान को कुचल दिया जाता है, जनता की राय दबा दी जाती है और संस्थानों को नष्ट कर दिया जाता है तो क्या होता है.आपातकाल के दौरान हुई घटनाओं ने तानाशाही का उदाहरण दिया.'' 

ओम बिरला ने आपातकाल को बताया काला धब्बा

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने अपने पहले भाषण में आपातकाल की निंदा करते हुए कहा,''ये सदन 1975 में देश में आपातकाल (आपातकाल ) लगाने के निर्णय की कड़े शब्दों में निंदा करता है.इसके साथ ही हम, उन सभी लोगों की संकल्पशक्ति की सराहना करते हैं,जिन्होंने आपातकाल  का पुरजोर विरोध किया,अभूतपूर्व संघर्ष किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा का दायित्व निभाया.भारत के इतिहास में 25 जून 1975 के उस दिन को हमेशा एक काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा.''

उन्होंने कहा,''इसी दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल  लगाई और बाबा साहब आंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान पर प्रचंड प्रहार किया था.भारत की पहचान पूरी दुनिया में 'लोकतंत्र की जननी' के तौर पर है.भारत में हमेशा लोकतांत्रिक मूल्यों और वाद-संवाद का संवर्धन हुआ, हमेशा लोकतांत्रिक मूल्यों की सुरक्षा की गई,उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया गया.ऐसे भारत पर श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा तानाशाही थोप दी गई, भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचला गया और अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंट दिया गया.''

'पूरा देश बन गया था जेलखाना'

उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान भारत के नागरिकों के अधिकार नष्ट कर दिए गए,नागरिकों से उनकी आजादी छीन ली गई.ये वो दौर था जब विपक्ष के नेताओं को जेलों में बंद कर दिया गया,पूरे देश को जेलखाना बना दिया गया था.

लोकसभा अध्यक्ष का भाषण कुछ कुछ वैसा ही था, जैसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18वीं लोकसभा की शुरूआत पर 24 जून को संसद भवन परिसर में मीडिया को संबोधित करते हुए दिया था. प्रधानमंत्री ने आपातकाल को काला धब्बा बताते हुए कहा था कि आपातकाल में पूरे देश को जेलखाना बना दिया गया था.  

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