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विकसित भारत रोजगार योजना Explainer: देश में कितने बेरोजगार, क्या PM मोदी का मास्टर स्ट्रोक है '15 हजार'?

इंडस्‍ट्रीज को स्किल्‍ड युवाओं की जरूरत होगी और ये तब और ज्‍यादा बढ़ेगी, जब देश ग्‍लोबल मैन्‍युफैक्‍चरिंग हब के तौर पर दुनियाभर की कंपनियों को खींच पाएगा.

विकसित भारत रोजगार योजना Explainer: देश में कितने बेरोजगार, क्या PM मोदी का मास्टर स्ट्रोक है '15 हजार'?
  • देश में आंकड़ों के अनुसार करीब 3.1 करोड़ लोग बेरोजगार हैं, जिनमें उच्च शिक्षितों की संख्या 2.5 करोड़ है.
  • प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना के तहत अगले 2 वर्षों में 3.5 करोड़ से अधिक जॉब क्रिएशन का लक्ष्य है.
  • भारत को हर वर्ष 1.2 करोड़ नौकरियां पैदा करनी होंगी, जिसमें मैन्युफैक्चरिंग और ग्रीन एनर्जी पर जोर होगा.
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निलेश कुमार | सरकारी आंकड़े कहते हैं कि देश में 3.1 करोड़ लोग बेरोजगार हैं. और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज जिस विकसित भारत रोजगार योजना (PM-VBR) का ऐलान किया, उससे 3.5 करोड़ नौकरियां पैदा होने की उम्‍मीद है. फिर तो बेरोजगारी की समस्‍या ही खत्‍म हो जाएगी? जी नहीं! कोई जादू की छड़ी नहीं कि घुमाया और समस्‍या छू-मंतर. बेरोजगारी कोई मैथ का सवाल नहीं कि जोड़-घटा, गुणा-भाग किया और सवाल सॉल्‍व! हां, ये जरूर है कि बेरोजगारी की समस्‍या दूर करने में इस योजना का अहम रोल हो सकता है. पर कैसे और कितना ये समझने के लिए थोड़ा विस्‍तार से विश्‍लेषण करना होगा. समझना होगा, न केवल आंकड़ों को, बल्कि पूरी समस्‍या को भी. 

देश में करीब 3.1 करोड़ लोगों के बेरोजगार होने का आंकड़ा सरकारी है. हो सकता है कि असल में बेरोजगारों की संख्‍या इससे ज्‍यादा हो. लेकिन श्रम मंत्रालय और सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के मुताबिक, ये 3.1 करोड़ लोग ही ऐसे हैं, जो नौकरी की तलाश कर रहे हैं.  इनमें लगभग 1.4 करोड़ उच्च शिक्षित बेरोजगार हैं. यानी डिग्री तो है पर नौकरी नहीं. 

सरकारी नौकरियां आखिर कितनी संभव!

एक महत्‍वपूर्ण तथ्‍य ये है कि सरकारी सेक्‍टर में 1.8 करोड़ लोग कार्यरत हैं, जबकि 39.6 करोड़ लोग प्राइवेट सेक्‍टर में कार्यरत हैं. स्‍पष्‍ट है कि सरकारी नौकरियों की सीमित संख्या के चलते ज्‍यादातर युवाओं की निर्भरता प्राइवेट सेक्‍टर पर है. बेरोजगारी, दूर कैसे होगी, इस सवाल पर रिपोर्ट ये जोर देती है कि साल 2030 तक हर साल करीब 1.2 करोड़ नौकरियां पैदा करनी होंगी. 

बेरोजगारी दूर करने के प्रयासों के तहत ही आज 79वें स्‍वतंत्रता दिवस पर लाल किले के प्राचीर से पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने आज प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना (PM-VBR) लागू करने का ऐलान किया. इस योजना को जुलाई में हुई कैबिनेट मीटिंग में स्‍वीकृति मिली थी. इससे अगले दो साल में 3.5 करोड़ नौकरियां पैदा होने की उम्‍मीद है. यानी अगर ये योजना उम्‍मीदों पर खरा उतरती है तो देश में बेरोजगारी कम करने में इसका अहम योगदान होगा. 

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विकसित भारत रोजगार योजना से क्‍या लाभ?

पीएम मोदी ने जो प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना लागू की है, उसमें दो तरह के लाभुक हैं. पहला तो वे युवा, जिन्‍हें नौकरी की तलाश है और दूसरा, उन्‍हें नौकरी देने वाली कंपनियां. करीब एक लाख करोड़ (99,446 करोड़) रुपये के बजट वाली 'प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना' का लक्ष्य दो साल में 3.5 करोड़ से अधिक नौकरियों का सृजन करना है. इनमें से 1.92 करोड़ लाभार्थी पहली बार नौकरी पाने वाले होंगे.

  • ये योजना 15 अगस्‍त 2025 से ही शुरू हो गई है और 31 जुलाई, 2027 तक की नौकरियों पर लागू रहेगी. यानी अगर आपकी नौकरी अभी लगी है या फिर लगने वाली है तो आप लाभुक होंगे.  
  • एक अहम बात ये कि अगर आपकी सैलरी एक लाख रुपये तक है तो ही आप इस योजना के लिए योग्य हैं. ऐसे युवाओं को 15 हजार या फिर एक महीने का EPF वेतन दिया जाएगा. 
  • योजना के पार्ट ए में नौकरी करने वाले युवा लाभुक शामिल हैं. EPFO में पहली बार रजिस्टर होने के बाद इन युवाओं को दो किस्तों में रकम दिए जाने की बात कही गई है. 
  • 6 महीने तक नौकरी करने के बाद पहली किस्त जारी होगी, वहीं  दूसरी किस्त 12 महीने की नौकरी पर मिलेगी. यानी एक साल की नौकरी की अवधि में 15 हजार रुपये मिलेंगे. 
  • जॉब देने वाली कंपनियों को भी सरकार की तरफ से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी. हर कर्मी पर उन्‍हें 2 साल तक 3 हजार रुपये हर महीने मिलेंगे. 
  • और चूंकि देश को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना उद्देश्‍य है, इसलिए इस सेक्टर की कंपनी के लिए ये प्रोत्साहन राशि तीसरे और चौथे साल तक भी जारी रहेगी. 
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    रोजगार की राह में देश के सामने चुनौतियां 

    श्रम और रोजगार मंत्रालय की एनुअल रिपोर्ट कहती है कि भारत को आबादी के हिसाब से साल 2030 तक हर साल करीब 1.2 करोड़ नई नौकरियां पैदा करनी होंगी. इसमें एक बड़ा हिस्‍सा मैन्युफैक्चरिंग, डिजिटल सर्विसेज, ग्रीन एनर्जी, हेल्थकेयर और ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर में आ सकता है.

    हालांकि भारत के सामने चुनौती सिर्फ नौकरियां बनाने की नहीं, बल्कि सही स्किल्स उपलब्ध कराने की भी है. स्किल गैप के चलते कई नौकरियां खाली रह जाती हैं, जबकि बेरोजगारी भी बनी रहती है. 

    रोजगार के लिए क्‍या केवल शिक्षित होना काफी नहीं है. इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन और इंस्‍टीट्यूट ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट की पिछले साल आई रिपोर्ट कहती है कि ज्‍यादातर युवाओं के पास स्किल यानी काम करने का कौशल नहीं है.

    75% युवा अटैचमेंट के साथ ईमेल नहीं भेज पाते तो वहीं 60% युवा फाइल्‍स को कॉपी-पेस्ट तक नहीं कर पाते. किसी फार्मूले को स्प्रेडशीट में डालना तो 90% के बस की बात नहीं.

    इंडस्ट्री की जरूरत और युवाओं की स्किल्स में बड़ा अंतर है. सरकारी नौकरियां सीमित हैं. आंकड़ों के मुताबिक, साल 2025 में भी सरकारी नौकरी का हिस्सा वर्कफोर्स में 5% से कम है. 

    इसी समस्‍या को ध्‍यान में रखते हुए नई शिक्षा नीति में कौशल-विकास पर जोर दिया गया है. केंद्र सरकार पिछले 11 साल से लगातार इस पर काम भी कर रही है.

    विकसित भारत योजना में संभावनाएं? 

    प्रधानमंत्री विकसित भारत योजना को लेकर उम्‍मीद की जा रही है कि ये दो साल में 3.5 करोड़ रोजगार सृजन करेगी. इसकाे लेकर थिंक टैंक सेंटर फॉर सिविल सोसाइटी (भारत) और WAEN (कनाडा) में सीनियर पॉलिसी फेलो अविनाश चंद्र कहते हैं कि इस योजना में केंद्र की नीयत स्‍पष्‍ट दिखती है कि सरकार प्राइवेट सेक्‍टर में जॉब क्रिएट कराना चाहती है. इसकी सफलता इंडस्‍ट्री की जरूरतों और उनकी जरूरतों के अनुसार युवाओं में स्किल डेवलपमेंट पर निर्भर करती है. 

    वे कहते हैं, 'इंडस्‍ट्री को स्किल्‍ड युवाओं की जरूरत होगी और ये तब और ज्‍यादा बढ़ेगी, जब देश ग्‍लोबल मैन्‍युफैक्‍चरिंग हब के तौर पर दुनियाभर की कंपनियों को खींच पाएगा.' विकसित भारत रोजगार योजना इंडस्‍ट्री को लोगों को काम पर रखने का साहस तो देगा ही, इससे प्रॉडक्टिविटी भी बढ़ेगी. 

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    और किन मोर्चों पर काम करने की जरूरत?

    इंडिया एम्‍प्‍लॉयमेंट रिपोर्ट कहती है कि देश में मैन्युफैक्चरिंग, डिजिटल सर्विसेज, ग्रीन एनर्जी, हेल्थकेयर, एग्री-प्रोसेसिंग जैसे क्षेत्रों में रोजगार सृजन की खूब संभावनाएं हैं. रिपोर्ट सुझाव देती है कि बेरोजगारी का समाधान तीन मोर्चों पर होना चाहिए.  

    • स्किल डेवलपमेंट: इंडस्ट्री-ओरिएंटेड ट्रेनिंग, अप्रेंटिसशिप और डिजिटल लर्निंग प्लेटफॉर्म का विस्तार.
    • उद्यमिता को बढ़ावा: MSME और स्टार्टअप इकोसिस्टम को आसान क्रेडिट और बिजनेस सपोर्ट.
    • सेक्टर-आधारित निवेश: कृषि-प्रोसेसिंग, पर्यटन, नवीकरणीय ऊर्जा, इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग जैसे क्षेत्रों में बड़े निवेश.

    अगर भारत इन मोर्चों पर सही रणनीति अपनाता है, तो 2030 तक न सिर्फ बेरोजगारी घट सकती है, बल्कि एक मजबूत रोजगार आधारित अर्थव्यवस्था भी बन सकती है.

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    चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर अनंत वी नागेश्‍वरन ने इस बात पर जोर दिया था कि सरकार अपने स्‍तर पर कई तरह के उपाय कर रही है, लेकिन उद्योग जगत को भी आगे आने की जरूरत है. उन्‍हें ज्‍यादा नियुक्तियां करने की जरूरत है. अगले 10 साल श्रम आधारित रोजगार का इंतजाम करने की जरूरत बताई गई है. 

    जानकार बताते हैं कि भारत की सबसे बड़ी ताकत उसकी युवा आबादी है और ये ताकत तभी असर दिखाएगी जब नौकरी के मौके और सही स्किल्स, साथ-साथ बढ़ेंगे. पीएम मोदी का ये रोजगार योजना लागू करना, इसकी कड़ी में एक प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है. जैसा कि वो कई मंचों से बोल चुके हैं कि अगले पांच साल देश के लिए निर्णायक होंगे.

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