अशोक गहलोत ने ट्विटर पर पोस्ट किए अपने बयान में कहा, 'प्रधानमंत्री मोदी, आपका भाषण पूरी तरह 2023-24 के विधानसभा और लोकसभा चुनावों को देखते हुए दिया गया है. यह भारतीय जनता पार्टी के चुनावी एजेंडे के रूप में था.' गहलोत ने पूर्ववर्ती केंद्र सरकारों द्वारा रेलवे को राजनीति का अखाड़ा बनाए जाने और रेलवे के आधुनिकीकरण पर हमेशा राजनीतिक स्वार्थ हावी रहने की पीएम की टिप्पणी ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण'' बताया.
गहलोत ने कार्यक्रम के बाद जारी बयान में कहा, ‘‘2014 से पूर्व के रेलमंत्रियों के कार्यकाल के फैसलों को भ्रष्टाचार व राजनीतिक स्वार्थ से प्रेरित बोलना दुर्भाग्यूर्ण है.'' उन्होंने कहा, ‘‘रेलवे का महत्व कम करने का प्रयास तो आपने अपने कार्यकाल में अलग रेलवे बजट को समाप्त कर किया है. आज आधुनिक ट्रेनें चल पा रही हैं, क्योंकि डॉक्टर मनमोहन सिंह जी ने वित्त मंत्री के रूप में 1991 में आर्थिक उदारीकरण किया और नई तकनीक को भारत में विकसित होने का अवसर दिया.''
उन्होंने तंज भरे शब्दों में कहा, ‘‘पूरी दुनिया में समय के साथ प्रौद्योगिकी आधुनिक हुई है, जिनसे भारत में भी नई तकनीक आई है और रेलवे में सुधार हुए हैं. यह कहना उचित नहीं है कि रेलवे में विकास कार्य 2014 के बाद ही हुए हैं.''
गहलोत ने पीएम मोदी के इस बयान पर जताई आपत्ति
गहलोत ने देश के पूर्व रेल मंत्री लाल बहादुर शास्त्री, जगजीवनराम, स्वर्ण सिंह, गुलजारी लाल नंदा, के हनुमानथईया, ललित नारायण मिश्र, कमलापति त्रिपाठी, मधु दंडवते, पीसी सेठी, एबीए गनीखान चौधरी, मोहसिना किदवई, माधवराव सिंधिया, जॉर्ज फर्नाडीस, जनेश्वर मिश्र, सीके जाफरशरीफ, रामविलास पासवान, नीतीश कुमार, राम नायक, ममता बनर्जी, मल्लिकार्जुन खरगे का नाम लेते हुए कहा, ‘‘इन सभी के कार्यकाल के फैसलों को भ्रष्टाचार एवं राजनीतिक स्वार्थ से प्रेरित बोलना दुर्भाग्यूर्ण है.''
पीएम मोदी ने क्या कहा था?
इससे पहले कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने रेलवे में कथित राजनीति को लेकर पूर्ववर्ती सरकारों पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारे देश का दुर्भाग्य रहा है कि रेलवे जैसी महत्वपूर्ण व्यवस्था, जो सामान्य मानवीय जीवन का इतना बड़ा हिस्सा है, उसे भी राजनीति का अखाड़ा बना दिया गया था. आजादी के बाद भारत को एक बड़ा रेलवे नेटवर्क मिला था. लेकिन रेलवे के आधुनिकीकरण पर हमेशा राजनीतिक स्वार्थ हावी रहा.''
उन्होंने कहा कि राजनीतिक स्वार्थ से तय किया जाता था कि कौन रेल मंत्री बनेगा कौन नहीं बनेगा. उन्होंने कहा, ‘‘हालत यह थी कि रेलवे की भर्तियों में राजनीति होती थी, बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होता था।'' पीएम मोदी ने कहा, ‘‘इन सारी परिस्थितियों में बदलाव वर्ष 2014 के बाद आना शुरू हुआ है. सरकार पर राजनीतिक सौदेबाजी का दबाव हटा तो रेलवे ने भी चैन की सांस ली और नई ऊंचाई पाने के लिए दौड़ पड़ी.''
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