गहलोत-पायलट के बीच 'दूरियां' मिटाने के लिए 'बड़े बदलाव' की तैयारी में कांग्रेस

सचिन पायलट (Sachin Pilot) ने राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ एक दिन का अनशन किया. अनशन के बाद बुधवार को पायलट को दिल्ली बुलाया गया है.

नई दिल्ली:

अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) और सचिन पायलट (Sachin Pilot) के बीच फिर से मतभेद उजागर होने के बाद कांग्रेस राजस्थान (Rajasthan Congress) में एक बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है. सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने संकेत दिया है कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच खींचतान को खत्म करने और पार्टी में एकता बहाल करने के लिए एक 'बड़ा बदलाव' किया जाएगा. सूत्रों ने कहा कि इस बदलाव का समय और इसकी प्रकृति कई कारकों पर निर्भर करेगी. इसमें अन्य सीनियर नेताओं से प्रतिक्रिया और राज्य की राजनीतिक स्थिति का आकलन भी शामिल है. 

सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व 2021 में पंजाब में की गई गलतियों को दोहराना नहीं चाहता है. वहां पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने विधानसभा चुनाव से महीनों पहले पार्टी छोड़ दी थी और अपना खुद का संगठन बना लिया था.

इससे पहले सचिन पायलट (Sachin Pilot) ने राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ मंगलवार को एक दिन का अनशन किया. पायलट ने आरोप लगाया है कि गहलोत सरकार (Ashok Gehlot Government) ने वसुंधरा राजे की सरकार के वक्त हुए भ्रष्टाचार के मामलों में अनदेखी की है. पार्टी सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस नेतृत्व राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच पैदा हुए तनाव पर नजर रखे हुए है. पार्टी नेतृत्व ने इसमें जल्द ही इसमें हस्तक्षेप करने का फैसला किया है. 

राजस्थान के प्रभारी पार्टी महासचिव सुखजिंदर रंधावा ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात की और उन्हें राज्य की स्थिति के बारे में जानकारी दी. सूत्रों के मुताबिक, पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने संकेत दिया है कि राजस्थान संकट के समाधान और पार्टी में एकता बहाली के लिए एक बड़ा कदम उठाया जाएगा. हालांकि, सूत्रों ने कहा कि अन्य वरिष्ठ नेताओं की राय और राज्य की राजनीतिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए यह बड़ा कदम उठाया जाएगा. 

तीन साल पहले पायलट ने दिया था डिप्टी सीएम पद से इस्तीफा
बता दें, अशोक गहलोत और सचिन पायलट में पहले भी मतभेद रहे हैं. तीन साल पहले सचिन पायलट को उनकी बगावत के बाद राजस्थान के डिप्टी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया था.

गहलोत ने पायलट को बताया था 'गद्दार'
इससे पहले अशोक गहलोत ने बीते साल नवंबर में एनडीटीवी को दिए गए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में सचिन पायलट को 'गद्दार' बताया था. उन्होंने कहा, "एक गद्दार मुख्यमंत्री नहीं बन सकता... हाईकमान सचिन पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बना सकता, एक ऐसा शख्स, जिसके पास 10 विधायक भी नहीं हैं... ऐसा शख्स, जिसने विद्रोह किया... उन्होंने पार्टी को धोखा दिया, वह गद्दार हैं..."

इंटरव्यू के दौरान अशोक गहलोत ने 2020 में हुई 'बगावत' के बारे में विस्तार से बताया, "यह संभवतः हिन्दुस्तान में पहली बार हुआ होगा, जब एक पार्टी अध्यक्ष ने अपनी ही सरकार गिराने की कोशिश की..." अशोक गहलोत ने कोई सबूत पेश नहीं किया, लेकिन कहा कि इस बगावत को 'भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने फंड किया था' और इसके पीछे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह सहित BJP के वरिष्ठ नेता शामिल थे.

पायलट ने क्या किया था?
उस वक्त, दो साल तक राजस्थान के डिप्टी CM रह चुके सचिन पायलट 19 विधायकों को लेकर दिल्ली के निकट एक पांच-सितारा रिसॉर्ट में पहुंच गए थे. यह कांग्रेस को सीधी चुनौती थी - या उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाए, या वह कांग्रेस छोड़कर चले जाएंगे, और इसी वजह से कुछ ही राज्यों में शासन कर रही पार्टी एक राज्य में टूट भी गई थी.

गहलोत ने दिखाई थी अपनी ताकत
लेकिन यह चुनौती कतई नाकाम साबित हुई, क्योंकि 45-वर्षीय सचिन पायलट से 26 साल सीनियर अशोक गहलोत ने उन्हें आसानी से पटखनी दे दी थी, और उन्होंने भी एक पांच-सितारा रिसॉर्ट में ही 100 से भी ज़्यादा विधायकों को ले जाकर अपनी ताकत दिखाई थी. साफ हो गया कि दोनों नेताओं में कोई मुकाबला था ही नहीं.

सचिन पायलट को इस नाकामी के बाद नतीजा भी भुगतना पड़ा था. एक समझौता तैयार किया गया, और जुर्माने के तौर पर उन्हें पार्टी प्रदेशाध्यक्ष पद से तो हटाया ही गया, बल्कि उपमुख्यमंत्री के पद से भी हटा दिया गया. 
 

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