"एकता के हमारे इन प्रयासों के तहत ही, अब हम One Nation, One Election पर काम कर रहे हैं, जो भारत के लोकतंत्र को मजबूती देगा, जो भारत के संसाधनों का optimum outcome देगा, और देश विकसित भारत के सपने को पार करने में और नई गति प्राप्त करेगा, समृद्धि प्राप्त करेगा."
गुजरात के केवड़िए में राष्ट्रीय एकता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) के इस बयान ने देश में One Nation, One Election पर फिर बड़ी बहस छेड़ दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ये बयान ऐसे समय पर आया है, जब महाराष्ट्र और झारखंड में चुनावी अभियान चल रहा है.
"वन नेशन, वन इलेक्शन" की तैयारी
- 18 सितम्बर को कैबिनेट ने "वन नेशन, वन इलेक्शन" प्रस्ताव पर विचार के लिए गठित हाई लेवल कमिटी की सिफारिश को मंज़ूरी दी थी.
- सरकार का दावा है की "वन नेशन, वन इलेक्शन" पर चर्चा के दौरान 80% जो सुझाव आए, वह इसके समर्थन में थे.
- "वन नेशन, वन इलेक्शन" को दो स्टेज में इंप्लीमेंट करने की तैयारी है.
- पहले स्टेज में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव होंगे और दूसरे चरण में लोकल बॉडीज के इलेक्शन कराए जाएंगे.
- सरकार "वन नेशन, वन इलेक्शन" के प्रस्ताव को अगले 5 साल में इंप्लीमेंट करना चाहती है.
- जल्दी ही इस पर राष्ट्रीय सहमति बनाने के लिए एक इंप्लीमेंटेशन ग्रुप का गठन हो सकता है.
प्रमुख विपक्षी दलों का विरोध
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) ने बृहस्पतिवार को इस पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा, "पीएम मोदी जो कहते हैं, वो नहीं करेंगे, क्योंकि जब तक ये बिल संसद में नहीं आएगा, उन्हें सबको विश्वास में लेना होगा, तभी ये होगा. वन नेशन वन इलेक्शन नामुमकिन है...".
शुक्रवार को कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल ने इसे आम आदमी का ध्यान भटकाने वाला बयान बताते हुए कहा, "इसे लागू करना संभव नहीं होगा."
लेफ्ट पार्टियां भी इसके विरोध में हैं. सीपीआई के महासचिव डी, राजा ने कहा, "'देश में जनमत "एक राष्ट्र, एक चुनाव' के सख्त खिलाफ है, क्योंकि ऐसी धारणा है कि यह देश में बहुदलीय लोकतांत्रिक प्रणाली और वर्तमान पावर स्ट्रक्चर को नष्ट कर देगा...संविधान के नाम पर, ये देश की एकता के लिए बड़ा ख़तरा है."
इससे पहले 11 जनवरी, 2024 को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी ने हाई लेवल कमेटी के सेक्रेटरी नितिन चंद्रा को एक चिट्ठी लिखकर कहा था कि भारतीय संविधान वन नेशन वन इलेक्शन को फॉलो नहीं करता है.
राष्ट्रीय जनता दल भी इस प्रस्ताव के सख्त विरोध में है. आरजेडी का मानना है कि हाई लेवल कमेटी का गठन मोदी केबिनेट ने किया और फिर मोदी कैबिनेट ने ही उसकी सिफारिश को स्वीकार कर लिया.
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