
अब 100 साल से ज्यादा पुरानी सभी मस्जिदों (Mosques) का सर्वेक्षण करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दाखिल की गई है. दिल्ली-NCR के वकीलों ने दाखिल की याचिका की है. याचिका हिंदू/बौद्ध/ जैन मंदिरों के अवशेषों की जांच के लिए दाखिल की गई है. याचिका में अदालत के आदेश की मांग की गई है कि भारत में सौ साल से अधिक पुरानी सभी प्राचीन प्रमुख मस्जिदों जहां वजू के लिए कुओं, तालाबों या दूसरे धर्म के पूजा स्थलों के साथ छिपे हुए रास्ते हों, उनका सर्वे कराया जाए. ताकि पुराणों/उपनिषदों/जैन आगमों/हिंदुओं/जैनों/सिखों/बौद्धों से संबंधित बौद्ध ग्रंथों में वर्णित छिपे हुए देवता या प्रतीकों का पता लगाया जा सके और उनकी सुरक्षा की जा सके.
याचिका में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) या किसी अन्य सरकारी संगठन द्वारा स्थानीय अधिकारियों या किसी अन्य प्रशासनिक प्राधिकरण की सहायता से एक गोपनीय सर्वेक्षण की की योजना बनाने के आदेश देने की मांग भी की गई है. इसके अलावा मांग की गई है कि जब तक गोपनीय सर्वे ना हो तब तक 100 साल पुरानी मस्जिदों तालाबों और कुओं से वजू की इजाजत ना हो और वहां नल आदि का इंतजाम किया जाए. ताकि यदि कोई अवशेष हो पता चल सके और सांप्रदायिक घृणा और धार्मिक भावनाओं को आहत करने से बचा जा सके.
ये याचिका शुभम अवस्थी और सप्तर्षि मिश्रा ने दाखिल की है. याचिका में वाराणसी ज्ञानवापी परिसर में तालाब/कुएं में शिवलिंग मिलने का हवाला दिया गया है. इसमें आगे कहा गया है कि 'यह व्यापक रूप से ज्ञात है कि बहुत सारे हिंदू/जैन/सिख/बौद्ध मंदिर और पूजा स्थलों को मध्ययुगीन काल के दौरान अपवित्र किया गया था, जब आक्रमणकारियों द्वारा मुख्य रूप से मुसलमानों द्वारा भारत में आक्रमण किया गया था. इस प्रकार इन प्राचीन पूजा स्थलों में बहुत सारे अवशेष/देवता इस्लाम के अलावा अन्य धर्मों के होंगे. आपसी सहयोग और सद्भाव की मांग है कि मस्जिदों में अवशेषों का सम्मान किया जाए और प्राचीन धार्मिक अवशेषों की देखभाल और उनकी वापसी के लिए कदम उठाए जाएं.
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