मणिपुर के मुद्दे को लेकर संसद के दोनों सदनों में हंगामा और गतिरोध जारी है. विपक्षी दल इस मुद्दे पर संसद में पीएम मोदी (PM Narendra Modi) के बयान और चर्चा की मांग कर रहे हैं. जबकि सत्ता पक्ष ने आरोप लगाया कि हम चर्चा के लिए तैयार हैं, लेकिन विपक्षी नेता ही भाग रहे हैं. इस बीच विपक्ष ने लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया. प्रस्ताव पर चर्चा अभी पेंडिंग है. वहीं, मोदी सरकार ने अविश्वास प्रस्ताव (No-Confidence Motion) पेंडिंग रहने के दौरान लोकसभा (Loksabha) में दो बिल और राज्यसभा में एक बिल पास करा लिए हैं. कांग्रेस ने इसपर आपत्ति जाहिर की है. आइए जानते हैं कि केंद्र सरकार के ऐसा करने के पीछे की रणनीति क्या है.
गुरुवार को लोकसभा में पास हुए ये बिल
मणिपुर हिंसा पर गुरुवार (27 जुलाई) को भी संसद के दोनों सदनों में जमकर हंगामा हुआ. हालांकि, रुक-रुककर हुई कार्यवाही के बीच लोकसभा में 2 बिल और राज्यसभा में 1 बिल पास हुआ. राज्यसभा ने सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) बिल पास किया, जिसमें पायरेसी के लिए 3 साल की जेल और प्रोडक्शन कॉस्ट का 5% जुर्माने का प्रस्ताव है. वहीं, लोकसभा में हंगामे के बीच 2 बिल जन विश्वास संशोधन और रिपील एंड अमेंडमेंट बिल पारित हुए.
मनीष तिवारी ने उठाए सवाल
विपक्ष ने इस बात पर ऐतराज जताया है कि जब सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेंडिंग है, तो ऐसे में विधायी कार्य कैसे कराया जा सकता है? कांग्रेस सासंद मनीष तिवारी ने ट्वीट किया -"यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि लोकसभा में हंगामे के बीच एक के बाद एक बिल पारित किये जा रहे हैं. कौल और शेखदार पेज 772 में संसद की कार्यप्रणाली और प्रक्रिया बहुत स्पष्ट है. जब 'अविश्वास प्रस्ताव' लाने के लिए सदन की अनुमति मिल गई हो, तो सरकार द्वारा नीतिगत मामलों पर कोई भी ठोस प्रस्ताव तब तक सदन के समक्ष नहीं लाया जाना चाहिए, जब तक कि अविश्वास प्रस्ताव का निपटारा न हो जाए."
स्पीकर ने दिया ये जवाब
मनीष तिवारी ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से अविश्वास प्रस्ताव पर तुरंत चर्चा कराने की अपील की. लोकसभा स्पीकर ने कहा कि नियम 198 सब-क्लॉज 2 के तहत अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की तारीख स्पीकर द्वारा तय की जाती है. ऐसा प्रस्ताव स्वीकार करने के 10 दिनों के भीतर होता है. स्पीकर की ओर से कहा गया, "परंपरा यह है कि चर्चा का समय सभी दलों से बातचीत के बाद तय किया जाता है."
सरकार की ये है रणनीति
सूत्रों के मुताबिक, संसद में हंगामे के बीच सरकार ने अपनी रणनीति बदली है. सरकार मणिपुर पर अपने जवाब को सीमित रखेगी. बहस के दौरान विपक्षी राज्यों में हो रही हिंसा का जिक्र नहीं होगा. हालांकि, सरकार को लगता है कि विपक्ष पीएम मोदी के बयान की मांग से पीछे नहीं हटेगा. इसके पीछे विपक्ष की चुनावी मजबूरी है. इसीलिए सरकार अब अपने विधायी कार्य को निपटाने पर ज़ोर देगी. अगर हंगामे के बीच ही बिल पारित कराने पड़े, तो कराए जाएंगे. इसी रणनीति पर चलते हुए सरकार अविश्वास प्रस्ताव पेंडिंग रहने के बाद भी एक के बाद एक बिल पारित करा रही है.
सोमवार को पेश होगा दिल्ली सेवा बिल
लोकसभा में सरकार सोमवार को इस सत्र का सबसे अहम बिल 'दिल्ली सेवा बिल' पेश करने जा रही है. दिल्ली के अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग से जुड़े केंद्र सरकार के अध्यादेश (Delhi Ordinance) से संबंधित बिल सोमवार (31 जुलाई) को संसद में पेश किया जायेगा. पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में मंगलवार को इस बिल को मंजूरी दे दी गई थी. आम आदमी पार्टी समेत विपक्ष ने राज्यसभा में इस बिल का विरोध करने की तैयारी की है.
अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा अगले सप्ताह संभावित
सूत्रों के मुताबिक, चूंकि सोमवार को केंद्र सरकार दिल्ली सेवा बिल लोकसभा में लाना चाहती है. लिहाजा अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा अगले सप्ताह संभावित है.
1 अगस्त को पीएम मोदी का महाराष्ट्र दौरा
वहीं, पीएम नरेंद्र मोदी का 1 अगस्त मंगलवार को महाराष्ट्र जाने का कार्यक्रम है. ऐसे में बुधवार और गुरुवार को अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा, जवाब और मतदान कराया जा सकता है.
बता दें कि केंद्र सरकार मॉनसून सत्र में 31 बिल ला रही है. इनमें 21 नए बिल हैं. 10 बिल पहले संसद में किसी एक सदन में पेश हो चुके हैं. उन पर चर्चा होगी. मॉनसून सत्र 11 अगस्त तक चलेगा.
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