
जम्मू-कश्मीर के रामबन में हाल ही में बादल फटने की वजह से हुए भूस्खलन और आई बाढ़ ने जिले के लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त सा कर दिया है. कुदरत के इस कहर से स्थानीय लोगों का जीवन अब कभी पहले जैसा नहीं रहेगा. किसी के मकान की जगह अब खाली मलबा है तो किसी की दुकान ही ढह गई है. इसके अलावा वहां बिजली पानी की सप्लाई के बिना लोगों को परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं. ऐसे वक्त में जब कईं आपदा प्रबंधन एजेंसियां राहत और बचाव कार्यों में दिन-रात लगी हैं, उस वक्त केंद्र शासित प्रदेश के मुख्यमंत्री उमर अबदुल्ला ने आपदा प्रभावित जिले का दौरा किया.
रीस्टोरेशन कार्यों का लिया जायजा
अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री अब्दुल्ला जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के बारे में जानकारी लेने के लिए श्रीनगर से रामबन शहर गए. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सड़कों को खोलने, कीचड़ साफ करने और पानी तथा बिजली की आपूर्ति बहाल करने समेत विभिन्न कार्यों का आकलन करने के लिए रामबन शहर पहुंचे. बता दें कि प्रभावित लोगों के राहत एवं पुनर्वास कार्यों की व्यक्तिगत निगरानी के लिए अब्दुल्ला का रामबन का यह तीसरा दौरा था.
मुख्यमंत्री ने 21 अप्रैल को सबसे अधिक प्रभावित मरूग-केला मोड़ खंड का दौरा किया और इसके एक दिन बाद जमीनी स्थिति का आकलन करने के लिए रामबन शहर का दौरा किया था. उन्होंने प्रभावित लोगों के समुचित पुनर्वास का आश्वासन दिया था.
आपदा से हुई तीन की मौत
रामबन में हाल में बादल फटने से अचानक बाढ़ और भूस्खलन के कारण काफी नुकसान हुआ था. इस आपदा में तीन लोगों की मौत हो गई और 600 से अधिक मकान तथा व्यावसायिक इमारतें क्षतिग्रस्त हो गईं. इसके अलावा रामबन कस्बे के निकट मारूग से सेरी तक चार किलोमीटर लंबे मार्ग पर 250 किलोमीटर लंबे रणनीतिक जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग (NH44) को भी भारी नुकसान पहुंचा है.
पहलगाम के बाद खोलना पड़ा NH44
पहलगाम में आतंकवादी हमले के बाद फंसे हुए यात्रियों को निकालने के लिए 23 अप्रैल को राजमार्ग को आंशिक रूप से यातायात के लिए बहाल कर दिया गया था. इस हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर पर्यटक शामिल थे.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)