नोएडा प्लाट आवंटन घोटाले में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व आईएएस अधिकारी नीरा यादव को दोषी माना है.
नई दिल्ली:
नोएडा प्लाट आवंटन घोटाले में सजायाफ्ता पूर्व IAS अफसर नीरा यादव की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है. कोर्ट ने नीरा यादव को दोषी करार दिया है लेकिन सजा तीन साल से घटाकर दो साल कर दी है. नीरा यादव अब और 14 महीने की सजा काटनी होगी. पूर्व IAS अफसर राजीव कुमार को भी दो साल की सजा दी गई है.
नोएडा प्लाट आवंटन घोटाला साल 1993 से 1995 के दौरान हुआ था. नीरा यादव को 2016 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोषी करार दिया. इस फैसले को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
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सुनवाई के दौरान सीबीआई की तरफ से सॉलीसिटर जनरल रंजीत कुमार ने कहा यादव को भ्रष्टाचार के मामले में दो अलग-अलग अदालतों से सजा मिली है. यह केवल साधारण जमानत का मामला नहीं है. ऐसे में इनको जमानत नहीं दी जा सकती.
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जबकि नीरा यादव की तरफ से कहा गया कि उन्होंने भ्रष्टाचार कानून को चुनौती दी है. साथ ही कोर्ट से भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 13(1)(डी) निरस्त करने की मांग की है. इसमें किसी का फेवर करने वाले पब्लिक सर्वेंट को सजा देने का प्रावधान है. नीरा के वकील ने कहा कि ऐसे ही एक मामले में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को राहत मिली है, ऐसे में उन्हें भी राहत दी जाए.
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नीरा यादव का कहना है कि उनका इस पूरे मामले में कोई रोल नहीं है. उनके पर लगे आरोप स्पष्ट नहीं हैं. इन तथ्यों को निचली अदालत और हाईकोर्ट ने दरकिनार किया है. लिहाजा उन्हें दी गई सजा के फैसले को खारिज किया जाए और उन्हें जमानत दी जाए. दरअसल नीरा यादव को सीबीआई की विशेष अदालत और इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार कानून के तहत दोषी ठहराते हुए तीन साल के कारावास की सजा सुनाई है.
नोएडा प्लाट आवंटन घोटाला साल 1993 से 1995 के दौरान हुआ था. नीरा यादव को 2016 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोषी करार दिया. इस फैसले को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
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जबकि नीरा यादव की तरफ से कहा गया कि उन्होंने भ्रष्टाचार कानून को चुनौती दी है. साथ ही कोर्ट से भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 13(1)(डी) निरस्त करने की मांग की है. इसमें किसी का फेवर करने वाले पब्लिक सर्वेंट को सजा देने का प्रावधान है. नीरा के वकील ने कहा कि ऐसे ही एक मामले में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को राहत मिली है, ऐसे में उन्हें भी राहत दी जाए.
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नीरा यादव का कहना है कि उनका इस पूरे मामले में कोई रोल नहीं है. उनके पर लगे आरोप स्पष्ट नहीं हैं. इन तथ्यों को निचली अदालत और हाईकोर्ट ने दरकिनार किया है. लिहाजा उन्हें दी गई सजा के फैसले को खारिज किया जाए और उन्हें जमानत दी जाए. दरअसल नीरा यादव को सीबीआई की विशेष अदालत और इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार कानून के तहत दोषी ठहराते हुए तीन साल के कारावास की सजा सुनाई है.
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