- नोएडा और ग्रेटर नोएडा देश के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हैं, जहां AQI क्रमशः चार सौ छह और तीन सौ छियासी है
- AQI के अनुसार, 401 से 500 तक के स्तर को गंभीर रूप से खराब माना जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत खतरनाक है
- प्रदूषित हवा से सांस की बीमारियां, हृदय रोग, कैंसर, न्यूरोलॉजिकल और त्वचा संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं
नोएडा-ग्रेटर नोएडा देश के सबसे प्रदूषित हवा वाले शहरो में टॉप पर हैं. नोएडा का AQI 406 है तो ग्रेटर नोएडा का 386. हरियाणा के धारुहेड़ा का AQI भी 386 ही है. वहीं दिल्ली का 385 और मानेसर का 368 है. सोनीपत और गाजियाबाद का AQI 349 और 353 है. मतलब एनसीआर का इलाका देश में सबसे प्रदूषित हवा को झेल रहा है.

आपको बता दें कि 0-50 तक का AQI अच्छा माना जाता है. 51-100 का कामचलाऊ, तो 101 से 200 AQI चिंताजनक और 201 से 300 खराब, 301 से 400 बहुत खराब और 401 से 500 AQI हो तो गंभीर रूप से खराब हवा मानी जाती है. अब सोचिए, इतनी खराब हवा से लोगों को कितनी तरह की दिक्कतें हो रही होंगी.
खराब हवा से कई बीमारियां हो सकती हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
- सांस की समस्याएं: खराब हवा में मौजूद प्रदूषक तत्व सांस लेने की प्रणाली को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे श्वसन समस्याएं, जैसे कि खांसी, दमा, और क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) हो सकती हैं.
- हृदय समस्याएं: खराब हवा में मौजूद प्रदूषक तत्व हृदय को भी प्रभावित कर सकते हैं, जिससे हृदय हमला, स्ट्रोक, और अन्य हृदय समस्याएं हो सकती हैं.
- कैंसर: खराब हवा में मौजूद कुछ प्रदूषक तत्व, जैसे कि पार्टिकुलेट मैटर (PM) और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2), कैंसर का कारण बन सकते हैं.
- न्यूरोलॉजिकल समस्याएं: खराब हवा में मौजूद प्रदूषक तत्व न्यूरोलॉजिकल समस्याएं, जैसे कि न्यूरोडिजीज, पार्किंसंस रोग, और अल्जाइमर रोग, का कारण बन सकते हैं.
- त्वचा समस्याएं: खराब हवा में मौजूद प्रदूषक तत्व त्वचा को भी प्रभावित कर सकते हैं, जिससे त्वचा समस्याएं, जैसे कि एक्जिमा और डर्मेटाइटिस, हो सकती हैं.
यह महत्वपूर्ण है कि हम खराब हवा से बचने के लिए आवश्यक कदम उठाएं, जैसे कि मास्क पहनना, प्रदूषक तत्वों से दूर रहना, और स्वच्छ हवा को बढ़ावा देना.
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