बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को कहा कि वह संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के आरक्षण के समर्थन में हैं, पर इसमें अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ी जाति (ओबीसी) और आर्थिक रूप से पिछड़ी जाति (ईबीसी) के लिए पर्याप्त प्रतिनिधित्व के प्रावधान होने चाहिए. उन्होंने पत्रकारों से बातचीत के दौरान केंद्र से जनगणना कराकर महिला आरक्षण विधेयक के प्रस्तावों को लागू करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ने और जाति जनगणना की उनकी लंबे समय से जारी मांग पर विचार करने का आग्रह किया.
नीतीश ने कहा, ‘‘मैं महिला आरक्षण के समर्थन में रहा हूं. उन्हें प्रतिनिधित्व का आश्वासन क्यों नहीं दिया जाना चाहिए? जब मैं संसद का सदस्य था तब मेरे भाषण इसको लेकर मेरे रुख की गवाही देंगे.'' उन्होंने कहा, ‘‘जहां भी संभव हो सका, हमने महिलाओं का पर्याप्त प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया है. पंचायतों, शहरी स्थानीय निकायों, पुलिस बल सहित सरकारी नौकरियों में, बिहार में महिलाओं का प्रतिनिधित्व देश के किसी भी राज्य के मुकाबले सबसे अधिक है.'' नीतीश ने कहा कि यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि एससी, एसटी, ओबीसी और ईबीसी की महिलाओं को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिले, इसका प्रावधान हो.
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, यह अफसोसजनक है कि अगर विधेयक पारित भी हो गया, तो वास्तविक कार्यान्वयन जनगणना और उसके बाद परिसीमन तक लटका रहेगा.'' केंद्र ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने को लेकर मंगलवार को संविधान संशोधन विधेयक पेश किया. सरकार ने कहा कि इससे राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर नीति-निर्माण में महिलाओं की अधिक भागीदारी हो सकेगी और 2047 तक भारत को एक विकसित देश बनाने के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी.
परिसीमन प्रक्रिया शुरू होने के बाद महिला आरक्षण लागू होगा और 15 वर्षों तक जारी रहेगा. प्रत्येक परिसीमन प्रक्रिया के बाद महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों में बदलाव किया जाएगा. नीतीश ने कहा, ‘‘मैं केंद्र सरकार से अनुरोध करूंगा कि वह जनगणना कराकर इस दिशा में तेजी से आगे बढ़े और जाति जनगणना की हमारी लंबे समय से चली आ रही मांग पर विचार करे.'' उन्होंने कहा कि जाति जनगणना अपरिहार्य हो गई है क्योंकि आखिरी बार यह 1931 में हुई थी. मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके नेतृत्व वाली सरकार ने राज्य में इसी तर्ज पर एक सर्वेक्षण का आदेश दिया, जो अब अपने अंतिम चरण में है.
इसके अलावा, ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस' (‘इंडिया') गठबंधन के सदस्य दल जनता दल (यूनाइटेड) (जद-यू) और लालू प्रसाद के राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने ओबीसी के मुद्दे का समर्थन किया है और पिछले महीने मुंबई बैठक के दौरान अपनाए गए प्रस्ताव में केंद्र में सत्ता में आने पर जाति जनगणना का वादा किया है.
महिला आरक्षण विधेयक 'आधा अधूरा' : अखिलेश यादव
समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बुधवार को लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर सवाल उठाते हुए इसे आधा-अधूरा विधेयक करार दिया. उन्होंने सोशल मीडिया साइट ‘एक्स' पर लिखा, ‘‘नयी संसद के पहले दिन ही भाजपा सरकार ने ‘महाझूठ' से अपनी पारी शुरू की है. जब जनगणना और परिसीमन के बिना महिला आरक्षण बिल लागू हो ही नहीं सकता, जिसमें कई साल लग जाएंगे, तो भाजपा सरकार को इस आपाधापी में महिलाओं से झूठ बोलने की क्या ज़रूरत थी.''
उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा सरकार न जनगणना के पक्ष में है न जातिगत गणना के, इनके बिना तो महिला आरक्षण संभव ही नहीं है. ये आधा-अधूरा विधेयक ‘महिला आरक्षण' जैसे गंभीर विषय का उपहास है, इसका जवाब महिलाएं आगामी चुनावों में भाजपा के विरूद्ध वोट डालकर देंगी.'' सरकार ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने वाला एक संवैधानिक संशोधन विधेयक मंगलवार को संसद के निचले सदन में पेश किया. इसे ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक' कहा गया है.
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